उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंदी पर चलेगा उत्पीड़न व हमले का मुकदमा
प्रयागराज
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी' व तीन अन्य के खिलाफ दलित उत्पीड़न एवं कातिलाना हमला करने का मुकदमा वापस लिए जाने की सरकार की अर्जी विशेष न्यायालय ने खारिज कर दी। 18 मार्च को सभी आरोपितों को अदालत में व्यक्तिगत रूप से हाजिर रहने के आदेश भी जारी किए गए। मामला वर्ष 2014 में हुई आपराधिक घटना का है।
विशेष जज डॉ. बालमुकुंद ने कहा कि इस आपराधिक मुकदमे को वापस लिए जाने से न्याय का उद्देश्य पूर्ण नहीं होगा। आरोपी घटना में उल्लिखित धारा 307 आईपीसी में उम्रकैद तक की सजा दिए जाने का प्रावधान है। वहीं दलित उत्पीड़न एक्ट की धारा 3 में 6 माह से 5 वर्ष तक के दंड का प्रावधान है। इसलिए इस मुकदमे को वापस ले जाने की राज्य सरकार की अर्जी निरस्त किए जाने योग्य है
राज्य सरकार की ओर से पेश अर्जी में कहा गया था कि आरोपित अभ्यस्त अपराधी नहीं है बल्कि प्रतिष्ठित राजनीतिक सामाजिक व्यक्ति हैं जिनकी सेवा सहयोग की आवश्यकता राज्य और समाज दोनों को है। इस मुकदमे के चलने से पक्षकारों के मध्य कटुता होगी इसलिए इस मुकदमे को जनहित में वापस लिये जाने की अनुमति दी जाए।
यह हैं आरोपी
नंद गोपाल गुप्ता 'नंदी', कमल कुमार उर्फ लाला, नीरज गुप्ता पार्षद तथा निजामुद्दीन पार्षद
यह रहा मामला
मुट्ठीगंज थाने में प्रयागराज के करछना डीहा निवासी वेंकटरमन शुक्ल ने मुकदमा पंजीकृत कराया था कि 3 मई 2014 को शाम 6 बजे जब सपा उम्मीदवार रेवती रमण सिंह की मुट्ठीगंज में हुई सभा में शामिल होने जा रहा था तो रास्ते में आरोपित खड़े थे। डंडों से मारना पीटना शुरू कर दिया। सपा के अनुसूचित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष को जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया तथा फायर कर हत्या करने की कोशिश की। पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत किया। विवेचना कर आरोप पत्र प्रस्तुत किया।
तत्कालीन न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम ने 26 अगस्त 2015 को आरोपपत्र पर संज्ञान लेकर मुकदमे की कार्यवाही प्रारंभ की। विशेष अदालत का गठन होने पर मुकदमा इस न्यायालय को अंतरित किया गया। राज्य सरकार द्वारा कुछ माह पूर्व इस मुकदमे को वापस लिए जाने का निर्णय लिया गया। जिलाधिकारी के माध्यम से राज्य सरकार के निर्णय की प्रति वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी राधाकृष्ण मिश्र ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर मुकदमे को वापस ले जाने की अनुमति मांगी थी जो खारिज कर दी गई।