November 22, 2024

OMG,छत्तीसगढ़ से दिल्ली तक की राजनीती में ये कैसा भूचाल :क्या वीडियो से हुई है  छेड़छाड़…

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छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा की रातोंरात गिरफ्तारी से टीएचए में दिन भर तरह-तरह की चर्चाएं चलती रहीं। कई राजनीतिक व गैर राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोग पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते रहे। लोगों का कहना था कि राजनीतिक दबाव में आनन-फानन में पुलिस ने यह कार्रवाई की है, जिसमें झोल दिख रहा है।
टीएचए में विनोद वर्मा के परिचित व मित्रों की संख्या ठीक है। सुबह यह खबर फैलने के बाद कांग्रेस, आप, आरडब्ल्यूए समेत वरिष्ठ पत्रकारों का इंदिरापुरम थाने पर तांता लग गया। थाना पहुंचे लोग पुलिस से घटना के बारे में जानकारी चाह रहे थे लेकिन स्थानीय पुलिस के अलावा रायपुर पुलिस भी कुछ बोलने को तैयार नहीं थी।
इसी बीच रायपुर पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया कि 26 अक्तूबर को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद ही उसी दिन यह मामला क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था।

उन्होंने बताया कि रात ही रायपुर पुलिस दिल्ली पहुंच गई थी और यहां एक वीडियो संचालक से पता चला कि विनोद वर्मा ने एक हजार सीडी बनवाई हैं। उनसे यह पूछने पर कि रायपुर पुलिस ने इस मामले में इतनी जल्दबाजी में कार्रवाई कैसे और क्यों की। इस पर उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
वहीं इंदिरापुरम पुलिस के अधिकारियों का कहना था कि उन्हें इस मामले के बारे में कुछ भी पता नहीं।

 पुलिस के पास नहीं था जवाब 

थाने पहुंचे विनोद वर्मा के शुभचिंतक यह सवाल उठा रहे थे कि छत्तीसगढ़ के थाना पंडरी में धारा 384 और 507 में मुकदमा दर्ज किया गया। शिकायत में किसी मंत्री का नाम नहीं था। ऐसे में पुलिस ने सीधे मामले को कैसे क्राइम ब्रांच को सौंप दिया।
प्राथमिकी दर्ज होने के कुछ घंटे के अंदर ही रायपुर पुलिस दिल्ली के वीडियो संचालक तक कैसे पहुंच गई। पुलिस ने दिल्ली के कारोबारी से कब और कहां पूछताछ की इसकी जानकारी देने से रायपुर पुलिस क्यों बचती रही।
थाना पहुंचे आरडब्ल्यूए के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों का सवाल था कि पुलिस ने वर्मा के घर से बरामद 500 सीडी को मीडिया को दिखाने से क्यों गुरेज किया। क्या पुलिस के पास सीडी थी ही नहीं।
 

पत्रकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस

वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। मीडिया से बातचीत में पुलिस का आरोप है कि विवादित सीडी की करीब 1000 कॉपियां बनाई गईं। पुलिस के मुताबिक करीब 500 सीडियां बरामद हुईं  हैं। पुलिस ने यह भी बताया कि उन्हें पत्रकार विनोद वर्मा का पता सीडी की कॉपी बनाने वाले से मिला।
पुलिस के मुताबिक पत्रकार विनोद वर्मा के पास उन्हें सीडी व पेन ड्राइव मिली है, हालांकि शिकायकर्ता प्रकाश बजाज की शिकायत में उनका नाम नहीं था। पुलिस का कहना है कि सीडी की कॉपी बनाने वाले ने जानकारी दी कि ये सीडी विनोद वर्मा के कहने पर बनवाई गई थी। पुलिस का कहना है कि ब्लैकमेलिंग होने से पहले ही कार्रवाई की गई।
हालांकि इस पूरी मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि एफआईआर में पत्रकार विनोद वर्मा का नाम नहीं फिर भी उन पर कार्रवाई की गई। साथ ही फोन कॉल में विनोद वर्मा की आवाज की पुष्टि भी नहीं हो पाई है। इससे पहले शुक्रवार सुबह विनोद वर्मा को छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें उनके गाजियाबाद स्थित घर से हिरासत में लिया।
गिरफ्तारी के बाद विनोद वर्मा ने कहा, ‘मेरे पास छत्तीसगढ़ सरकार के एक बड़े मंत्री की सेक्स सीडी है। यह वहां की सरकार को हजम नहीं हो रहा है और उन्हें बचाने में लगी हुई है।’
छत्तीसगढ़ पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार की निंदा की है। उनका कहना है कि जिस सीडी को लेकर ब्लैकमेल करने का आरोप विनोद वर्मा पर लगा है, वो प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री की है। बघेल ने वो सीडी भी सार्वजनिक की, जिसमें मंत्री एक महिला के साथ आपत्तिजनक हाल में हैं। उन्होंने इस सीडी की जांच की मांग की है।

कोर्ट में पुलिस डायरी लानी ही भूली क्राइम ब्रांच

रायपुर क्राइम ब्रांच व इंदिरापुम पुलिस पत्रकार को गिरफ्तार कर दोपहर 12 बजे सीजेएम कोर्ट पहुंची, जहां उन्होंने उनका ट्रांजिट रिमांड मांगा।
अभियोजन अधिकारी अजय मिश्रा ने बताया कि विनोद वर्मा के अधिवक्ता राकेश त्यागी कैली, नीरज शर्मा और नसीम पठान ने उनकी जमानत अर्जी कोर्ट में दी। साथ ही उन पर लगे आरोपों को भी बेबुनियाद बताया। वहीं, पुलिस ने दावा किया कि विनोद वर्मा के घर से उन्हें 500 सीडी, एक लैपटॉप, दो मोबाइल, तीन सिम और एक पैन ड्राइव बरामद हुई हैं।
सीजेएम अर्चना की अदालत ने पुलिस व अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। वहीं, रायपुर पुलिस को उनका तीन दिनों का ट्रांजिट रिमांड को स्वीकार किया। विनोद के वकील नीरज शर्मा ने बताया कि आदेश के बाद रायपुर पुलिस को विनोद वर्मा को 30 अक्तूबर को रायपुर कोर्ट में पेश करना होगा।
अभियोजन अधिकारी ने बताया कि रायपुर व इंदिरापुरम पुलिस कोर्ट में विनोद वर्मा को लेकर जरूर पहुंची, लेकिन वह उनके खिलाफ बनी पुलिस डायरी व सबूत कोर्ट में लाने ही भूल गई। अदालत ने पुलिस को समय देकर डायरी मंगवाई।
करीब आधा घंटा बाद पुलिस सबूत व डायरी लेकर कोर्ट में पहुंची, जिसके बाद सुनवाई हुई। वहीं, अदालत ने इस केस के मामले में फैसला रिजर्व रख लिया था, जिसे शाम करीब चार बजे सुनाया।

छत्तीसगढ़ भाजपा ने पत्रकार विनोद वर्मा पर लगाया ब्लैकमेलिंग का आरोप

पत्रकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी मामले में छत्तीसगढ़ भाजपा ने प्रेस कान्फ्रेंस कर अपना रुख स्पष्ट किया और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल तथा विनोद वर्मा के रिश्ते पर सवाल उठाया। भाजपा के भाटापारा विधायक ‌शिवरतन शर्मा ने कहा कि यह मामला ब्लैकमेलिंग का है इसलिए इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने पत्रकार विनोद वर्मा को कांग्रेस का एजेंट बताया और कहा कि भूपेश बघेल से उनका क्या रिश्ता है।

राज्य सरकार के जिन पीडब्‍ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत पर सेक्स सीडी के आरोप लगे हैं उन्होंने भी सामने अाकर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से ही जानकारी मिली की मेरे नाम से कोई सीडी जारी हुई है। मैं साफ कर देना चाहता हूं की इस तरह की कोई भी सीडी पूरी तरह फर्जी है।

उन्होंने सरकार को चुनौती दी कि अगर ऐसी कोई सीडी है तो उसको लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जाए। वहीं जब भाजपा नेताओं से सवाल पूछा गया कि क्या सेक्स सीडी में नाम आने के बाद राजेश मूणत इस्तीफा देंगे तो वे इसे टाल गए। इस दौरान मीडिया के कई सवालों को भाजपा नेता टालते हुए नजर आए।

दिल्ली पहुच  गई रिपोर्ट, भाजपा ने सीडी को माना संदिग्ध

छत्तीसगढ़ में मंत्री राजेश मूणत की कथित सेक्स सीडी मीडिया में आने के बाद भाजपा के आला संगठन ने भी मामले को संज्ञान में लिया है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो आलाकमान ने पूरी जानकारी ली है और जवाब में प्रदेश के पार्टी नेताओं ने सीडी को ही संदिग्ध माना है।सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने पूरे मामले की रिपोर्ट केंद्रीय नेताओं और आला पदाधिकारियों को दी है। भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों, मंत्रियों और विधायकों की शुक्रवार शाम को कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठा।बताया जा रहा है कि सभी पदाधिकारियों ने एक सुर में मूणत के साथ खड़े होने का निर्णय किया है। कांग्रेस के विरोध का सभी आला नेता एकजुट होकर विरोध करेंगे। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राजेश मूणत का पक्ष आला नेताओं के सामने दमदारी से रखा है। मुख्यमंत्री ने इस वीडियो को पार्टी नेताओं की छवि को खराब करने के रूप में पेश किया है। इसके पीछे तर्कों के साथ जानकारी भी दी है। पता चला है कि प्रदेश प्रभारी डॉ. अनिल जैन ने भी राष्ट्रीय मीडिया में आई खबरों के बाद प्रदेश संगठन से रिपोर्ट ली है। पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में मंत्री राजेश मूणत भी पहुंचे थे। उन्होंने आला नेताओं को पूरे मामले की जानकारी दी।

क्या वीडियो से हुई है  छेड़छाड़…

बैठक में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने वीडियो की संदिग्धता को लेकर भी सवाल खड़ा किया है। नेताओं ने कहा कि वीडियो में छेड़छाड़ करके सोशल मीडिया पर जारी किया गया है। प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि राजनीतिक दलों के बीच प्रतिद्वंद्विता रहती है, लेकिन यह विरोध सैद्घांतिक होता है। विपक्षी दल कार्यों की आलोचना करते हैं, सरकार की कमियों को उजागर करते हैं, लेकिन यह राजनीति के गिरते स्तर का प्रतीक है। किसी नेता को अपमानित करना, व्यक्तिगत लांछन लगाने का प्रदेश की राजनीति में बुरा असर पड़ेगा। आने वाले दिनों में इसके ठीक परिणाम सामने नहीं आएंगे।

ऑडियो- वीडियो सीडी से हुई छेड़छाड़ (टैंपरिंग) को पकड़ पाना इतना आसान नहीं है। वह भी तब जब छत्तीसगढ़ में इसकी कोई सुविधा ही नहीं है। राज्य के फार्रेंसिक लेब में साइबर क्राइम से जुड़े मामलों की जांच की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे सीडी जांच के लिए हैदराबाद स्थित लैब भेजनी पड़ती है। वहां से रिपोर्ट आने में न्यूनतम एक महीने का वक्त लगता है। फार्रेंसिक विभाग के डॉयरेक्टर (डीजी) एमडब्ल्यू अंसारी ने कहा कि राज्य में साइबर क्राइम के जांच की कोई सुविधा नहीं है।

डिजिटल विडियो के साथ छेड़छाड़ मुश्किल से होती है, पर असंभव नहीं। फरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार आम आदमी के लिए टैंपरिंग का पता लगा पाना संभव नहीं है। किसी भी विडियो में तीन डेट्स होती हैं। एक उसके क्रिएशन की, दूसरी एक्सेस या ओपनिंग की और तीसरी मॉडिफिकेशन की। लोग सिर्फ इन्हीं तारीखों को देखकर कुछ हद तक अंदाजा लगा सकते हैं। विडियो से छेड़छाड़ का पता केवल फरेंसिक लैब्स में विशेष सॉफ्टवेयर्स की मदद से ही लगाया जा सकता है।

ऐसे होती है जांच

इटली की एम्डा कंपनी ने ऐसे कुछ सॉफ्टवेयर्स बनाए हैं। एक सेकंड के विडियो में 25 फ्रेंम होते हैं। इन फ्रेंम्स से एक सेकंड का सीन बनता है। सॉफ्टवेयर्स से एक-एक कर 25 फ्रेंम चेक किया जाता है, तब पता लगता है कि टैंपरिंग हुई या नहीं।

ऐसे आता है पकड़ में

विडियो से छड़छाड़ हुई होगी तो फ्रेम्स की चेकिंग के दौरान फ्रेम्स का रेजॉलूशन, उसके पिक्सल्स, कंट्रास्ट आदि में एकदम बदलाव आने लग जाएगा। रौशनी की दिशा, छाया, यहां तक कि रंगों में भी फर्क दिखाई देने लग जाएगा। कई बार दो फ्रेम्स में पीछे का बैकग्राउंड भी अलग-अलग पाए जाने के साथ-साथ एक सेकंड में फ्रेम्स की संख्या में अंतर आने लगता है। चेकिंग के दौरान हर लेयर देखी जाती है। गर्दन व बाकी शरीर मैच नहीं करता तो गड़बड़ी पता लग जाती है।

क्या है कानून

क्रिमिनल लॉयर मो. अजीज हुसैन के अनुसार ऐसे मामलों में एविडेंस ऐक्ट की धारा 67-ए के तहत मामला दर्ज होता है। विडियो से छेड़छाड़ के साधारण मामलों में दोषी पाए जाने पर तीन साल की सजा और पांच लाख का जुर्माना हो सकता है। चीटिंग के लिए विडियो में टैंपरिंग करने पर पांच साल की सजा और अदालत से तय जुर्माना दोनों सजा हो सकती है।

साभारःअमर उजाला ,नई दुनिया से

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