सरकार के समान ही आरबीआई का वित्त वर्ष भी एक अप्रैल से हो सकता है शुरू, बोर्ड ने की सिफारिश
मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्र सरकार का वित्त वर्ष जल्द ही एकसमान होकर एक अप्रैल से शुरू हो सकता है। आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल ने शनिवार को आरबीआई का लेखा वर्ष सरकार के वित्त वर्ष के मुताबिक रखने की सिफारिश की है।
रिजर्व बैंक का लेखा वर्ष एक जुलाई से जबकि सरकार का वित्त वर्ष एक अप्रैल से शुरू होता है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार बोर्ड ने शनिवार को कहा कि यह बदलाव वित्त वर्ष 2020-21 के साथ ही लागू किया जा सकता है।
आरबीआई निदेशक मंडल ने अपनी 582वीं बैठक के बाद जारी बयान में कहा कि निदेशक मंडल ने 2020-21 से आरबीआई के वित्त वर्ष (जुलाई-जून) को सरकार के वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) के अनुरूप बनाने की सिफारिश की है।
इस बारे में मंजूरी के लिए एक प्रस्ताव मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा। निदेशक मंडल ने मौजूदा आर्थिक स्थितियों, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों की समीक्षा भी की। इससे पहले बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी इसके संकेत देते हुए कहा था कि अभी इस पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही आपको इस बारे में कुछ पता चलेगा।
शक्तिकांत दास ने कहा कि दरअसल, आरबीआई का वित्त वर्ष 01 जुलाई से अगले साल 30 जून तक का होता है जबकि केंद्र सरकार का वित्त वर्ष 01 अप्रैल से अगले साल 31 मार्च तक का होता है। विमल जालान समिति ने आरबीआई का वित्त वर्ष सरकार के वित्त वर्ष के समान करने की सिफारिश की थी।
दूरसंचार कंपनियों की ओर से करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के बकाये का भुगतान नहीं करने पर अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की चेतावनी से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शनिवार को प्रतिक्रिया दी है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, एजीआर के बकाये को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जुड़ा अगर कोई मुद्दा सामने आता है उस पर आंतरिक रूप से चर्चा की जाएगी।
आरबीआई की बोर्ड मीटिंग के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शक्तिकांत दास ने इस आदेश के बारे में कोई खास टिप्पणी नहीं की, जबकि माना जा रहा है कि इस आदेश का बैंकों पर असर देखने को मिल सकता है, जिन्होंने वित्तीय दबाव का सामना कर रही दूरसंचार कंपनियों को कर्ज दिया है।
उन्होंने कहा, यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है और शीर्ष कोर्ट के इस आदेश पर मैं कोई टिप्पणी करना पसंद नहीं करूंगा। इसके जो भी मायने हों, यह परीक्षण करने के लिए आरबीआई का आंतरिक मामला है। अगर इस दौरान कोई मुद्दा उठता है तो इसे आंतरिक रूप से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, आने वाले महीनों में लोन वितरण के गति पकड़ने की संभावना है। बोर्ड को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी संबोधित किया।