परीक्षण में फिट पाए जाने पर ही जवानों को घर जाने की अनुमति दी जाएगी
बीजापुर। बारिश का मौसम बीतने के बाद मलेरिया ने आम लोगों के साथ-साथ जवानों को भी अपनी जद में लेना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों सुकमा जिले में मलेरिया की चपेट में आकर एक जवान की मौत हो गई थी, वहीं बीजापुर जिले में जवानों के मलेरिया से ग्रसित होने के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं।
मलेरिया के बढ़ते मामलों के मद्देनजर नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों के लिए ऐहतियातन जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सीआरपीएफ में छुट्टी पर जाने वाले जवानों को रवानगी से पहले तीन प्रकार के मलेरिया टेस्ट करवाने होंगे।
परीक्षण में फिट पाए जाने पर ही जवानों को घर जाने की अनुमति दी जाएगी। गौरतलब है कि दक्षिण बस्तर मलेरिया के डेंजर जोन के रूप में चिन्हित है। बस्तर के घने जंगल में पैर पसार चुके माओवाद से निपटने जवानों को जंगल में उतारा गया है।
कई जवानों का चल रहा इलाज हालांकि 2014 के बाद से बीजापुर जिले में किसी भी जवान की मौत मलेरिया से नहीं हुई है। जिला अस्पताल में गत एक सप्ताह से आधा दर्जन जवानों का उपचार चल रहा है।
222 वीं बटालियन के बी कंपनी के नैमेड़ स्थित बेस कैम्प में पदस्थ प्रधान आरक्षक राकेश ने खुद को मलेरिया से ग्रसित बताया। इसी तरह भर्ती अन्य जवानों में भी मलेरिया के लक्षण की पुष्टि होने पर बेहतर उपचार के लिए अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
by spsamachar