ताड़मेटला में किसने लगाई आग, पता लगाने 9 साल बाद भी गवाहों का बयान ले रहा जांच आयोग
बस्तर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) जिला मुख्यालय जगदलपुर (Jagadalpur) में टीएमटीडी (TMTD) आयोग के दफ्तर में सोमवार को सुनवाई हुई. राज्य सरकार और भारत सरकार की तरफ से पैरवी करने वाले वकीलों के माध्यम से तीन लोगों की सुनवाई हुई. सरकार के वकील भूपेन्द्र सिंह के मुताबिक आज आयोग के दफ्तर में दो सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों की गवाही हुई है. बताया जा रहा है कि ये दोनों जवान घटना के समय सुकमा जिले चितंलनार इलाके में कोबरा बटालियन में पदस्थ थे.
वकील भूपेन्द्र सिंह के मुताबिक दो में से एक गवाह जम्मू कश्मीर से और दूसरा गवाह हैदराबाद से बुलाया गया था. इसके राज्य सरकार की तरफ से एक आत्मसमर्पित एक नक्सली को भी गवाही के लिए बुलाया गया था. सुनवाई के लिए सात जवानों को नोटिस भेजा गया था. चूंकि दो दिनों तक आयोग की सुनवाई होनी है, अगर बाकी के जवान कल आते हैं तो आयोग सुनवाई कल होगी अन्यथा आयोग अगली तारीख में सुनवाई करेगा.
गौरतबल है कि मामले में पिछले 9 सालों से जस्टिस टीपी गुप्ता की एकल सदस्यीय जांच आयोग द्वारा सुनवाई की जा रही है. जस्टिस टीपी शर्मा की अध्यक्षता में गठित एकल सदस्यीय विशेष न्यायिक जांच आयोग मामले में सुनवाई कर रहा है. आयोग के समक्ष पुलिस, सीआरपीएफ और सरकारी कर्मचारियों सहित पीड़ितों को मिलाकर लगभग तीन सौ से भी ज्यादा लोगों की गवाही हो चुकी है. 105 गवाहों की गवाही बाकी थी, लेकिन नवम्बर 2019 को आयोग का कार्यकाल खत्म हो गया था. जिसके बाद आयोग ने राज्य सरकार को एक पत्र लिखकर ये अवगत कराया था कि अभी गवाहों की गवाही होना बाकी है. इसलिए आयोग का कार्यकाल बढ़ाया जाए, जिसके बाद राज्य सरकार ने आयोग को दिसम्बर 2019 में एक पत्र भेजा, जिसमें ये कहा कि आयोग को अंतिम अवसर सुनवाई के लिए दिया जा रहा है. जिसमें मार्च 2020 तक कार्यवाधि बढ़ाई गई थी.
नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के ताड़मेटला में साल 2011 में ग्रामीणों के घरों में आग लगा दी गई थी. इस मामले में सुरक्षा बल के भूमिका पर सवाल उठाए गए थे. ग्रामीणों का आरोप था कि सुरक्षा बल के जवानों ने घरों में आग लगाई थी. इसी मामले में जांच आयोग गठित किया गया है. सुनवाई में बचाव पक्ष के वकील अपनी अपनी दलीलें आयोग के समक्ष रख रहे हैं.