मलेशिया-भारत पाम ऑइल विवाद की मार इडली-डोसा पर, बढ़ सकते हैं दाम
बेंगलुरु
भारत और मलेशिया के बीच चल रहे पाम ऑइल विवाद की मार अब दक्षिण भारत के लोकप्रिय व्यंजन डोसा पर पड़ी है। रेस्ट्रॉन्ट का कहना है कि पाम ऑयल पर टैक्स बढ़ाए जाने की वजह से सनफ्लावर और मूंगफली के तेल की कीमतें बढ़ गई हैं। इस बीच होटल संघ ने मांग की है कि कॉफी, इडली, वडा और डोसा की कीमतें बढ़ाई जाएं नहीं तो उनके लिए व्यापार चलाने में काफी मुश्किल होगी। जानकारी के मुताबिक मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर के बारे में बयान देने के बाद वहां से भारत ने पाम ऑइल का आयात नहीं किया है। इस वजह से खाद्य तेलों की कीमत में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। कर्नाटक में 30 रेस्ट्रॉन्ट हैं जिसमें से 8 हजार तो केवल बेंगलुरु में हैं। होटल संघ ने कहा है कि उनकी योजना है कि कॉफी की कीमत में दो, इडली-वड़ा के दाम में 5 रुपये और डोसा के दाम में 10 रुपये की बढ़ोत्तरी की जाए।
इस मांग के बीच सभी रेस्ट्रॉन्ट ने दाम नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। कुछ ने कहा है कि उन्हें डर है कि ग्राहक नाराज हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे लोग अपना खर्चा घटा रहे हैं। खाना बर्बाद होने से रोकने पर जोर ताकि लागत में वृद्धि को बराबर किया जा सके। एक रेस्ट्रॉन्ट ने पीने के पानी के छोटे ग्लास रखने का फैसला किया है। उनका कहना है कि ज्यादातर लोग आधा गिलास पानी ही पीते हैं, इससे आधा ग्लास पानी बर्बाद हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस कदम से पानी और पैसा दोनों बचेगा।
मलयेशिया की अकड़ अब ढीली
बता दें कि कश्मीर और संशोधित नागरिकता कानून (CAA) पर पाकिस्तान की भाषा बोल रहे मलयेशिया की अकड़ अब ढीली होने लगी है। पिछले महीने भारत ने मलयेशिया से रिफाइंड पाम ऑइल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके बाद मलयेशिया के सुर बदलने लगे हैं। मलयेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के उत्तराधिकारी अनवर इब्राहिम ने गुरुवार को न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि भारत को सुर में बदलाव पर ध्यान देना चाहिए।
खाद्य तेलों के दुनिया के सबसे बड़े खरीदार भारत ने पिछले महीने मलयेशिया से पाम ऑइल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था और अनौपचारिक तौर पर ट्रेडर्स से कहा था कि वे मलयेशिया से खरीदारी बंद कर दें। मलयेशिया इंडोनेशिया के बाद खाद्य तेलों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। पाम ऑइल के आयात पर प्रतिबंध के भारत के फैसले को मलयेशियाई पीएम महातिर मोहम्मद को जवाब के तौर पर देखा गया जिन्होंने भारत के नए नागरिकता कानून की यह कहते हुए आलोचना की थी कि यह मुस्लिमों से भेदभाव करता है।