दुनिया के 10 सबसे खूंखार जल्लाद, एक ने तो 3000 से ज्यादा अपराधियों को फांसी पर लटकाया
आमतौर पर जल्लाद का नाम सुनते ही लोगों के शरीर में सिहरन सी पैदा हो जाती है। लोग सोचते हैं कि आखिर कैसे होते होंगे वो जल्लाद जो अपराधियों को पल भर में फांसी पर लटका देते हैं और उन्हें जरा सी भी दया नहीं आती। दरअसल, जल्लादों का ये पेशा होता है, वो जानबूझकर या अपनी मर्जी से किसी को फांसी पर नहीं लटकाते। आज हम आपको दुनिया के 10 सबसे खूंखार जल्लादों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने 2-4 नहीं बल्कि सैकड़ों-हजारों अपराधियों को फांसी पर लटकाकर या किसी अन्य तरीके से सजा-ए-मौत दी है।
एड्विन डेविस नामक शख्स को अमेरिका का सबसे बड़ा जल्लाद माना जाता है। साल 1890 से 1914 के बीच उसने कुल 240 लोगों को मौत की सजा दी थी। हालांकि उस समय अमेरिका में इलेक्ट्रिक चेयर पर बिठाकर अपराधियों को सजा-ए-मौत दी जाती थी। एड्विन ने अपने पहले अपराधी को मारने के लिए उसे इलेक्ट्रिक चेयर पर बिठाकर उसपर एक हजार वोल्ट का करंट छोड़ा था, लेकिन उससे उसकी मौत नहीं हुई, जिसके बाद एड्विन ने उसपर 2000 वोल्ट का करंट छोड़ा, जिससे अपराधी की मौत हो गई। मई 1923 में एड्विन की मौत हो गई। उन्हें न्यूयॉर्क के कॉर्निंग में स्थित बर्नार्ड कब्रिस्तान में दफनाया गया है।
ब्रिटिश जल्लाद विलियम कैलक्रॉफ्ट को दुनिया के क्रूर जल्लादों में से एक माना जाता है। 19वीं शताब्दी का ये जल्लाद अपने 45 साल के करियर में 450 अपराधियों को फांसी पर लटका चुका है। इसे क्रूर जल्लाद इसलिए कहा जाता है, क्योंकि फांसी देते वक्त अगर अपराधी की मौत नहीं होती थी वो उनके कंधे पर कूद कर चढ़ जाता है, जिसके भार से अपराधियों की पल भर में मौत हो जाती थी।
थॉमस डैरिक 17वीं सदी का एक अंग्रेज जल्लाद था। उसने अपने करियर में 3000 से ज्यादा लोगों को फांसी पर लटकाया था। उसने अपराधियों को फांसी पर लटकाने के लिए एक नया तरीका भी इजाद किया था और वो उसी तरीके से उन्हें फांसी पर लटकाता था। डैरिक के बारे में सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि वह खुद एक अपराधी था। उसे एक दुष्कर्म के आरोप में मौत की सजा मिली थी, लेकिन चूंकि उस समय जेल में कोई जल्लाद नहीं था, इसलिए जेल अधिकारी ने उससे पूछा कि क्या तुम जल्लाद बनोगे? इस प्रस्ताव को उसने तुरंत स्वीकार कर दिया, लेकिन इसके लिए उसने शर्त रखी कि उसे फांसी की सजा नहीं दी जाएगी। उसकी इस शर्त को जेल अधिकारी ने स्वीकार कर लिया, जिसके बाद वह एक-एक कर अपराधियों को फांसी पर लटकाने लगा।
जॉन सी. वुड्स पहले अमेरिकी सेना में था, जो बाद में जल्लाद बन गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उसने कई नाजियों को फांसी पर लटकाया है। टाइम मैगजीन के मुताबिक, अपने 15 साल के करियर में जॉन ने कुल 347 लोगों को फांसी पर लटकाया था। एक रिसर्च के मुताबिक, महज दो साल में उसने करीब 60-70 अपराधियों को सजा-ए-मौत दी थी।
फ्रैंज श्मिट 15वीं शताब्दी का एक बेहद ही क्रूर जल्लाद था। जर्मनी के रहने वाले फ्रैंज ने अपने 45 साल के करियर में 361 लोगों को मौत के घाट उतारा था। उसने एक डायरी में इस बारे में विस्तार से लिखा था। चूंकि उस समय फांसी देने का चलन नहीं था, इसलिए वो अपराधियों को जलाकर, तलवार से उनका सिर काटकर या चाकू से गोदकर उन्हें मौत की नींद सुलाता था।
साल 1947 में मिस्र के टांटा में पैदा हुआ हुसैन कुर्रानी हुसैन अल फिकी यहां का सबसे चर्चित जल्लाद है। अपने लंबे करियर में उसने 1070 लोगों को फांसी पर लटकाया है। उसने अपनी जल्लादी करियर की शुरुआत साल 1998 से की थी। उसने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि अपनी जिंदगी की पहली फांसी देने से पहले वह इतना चिंतित था कि दो दिनों तक सोया नहीं था। हुसैन पहले मिस्र की सेना में था, लेकिन बाद में जल्लाद बन गया।
वैसिली ब्लॉखिन दुनिया के सबसे चर्चित जल्लादों में से एक रहा है। रूसी नेता स्टालिन के बेहद करीबी माने जाने वाले वैसिली ने करीब 10 हजार कैदियों को मौत के घाट उतारा था। कहा जाता है कि वैसिली ने 28 दिन में करीब 10 घंटे लगातार छह हजार कैदियों को गोली मार कर सजा-ए-मौत दी थी। हालांकि बाद में तीन फरवरी 1955 को उसने खुद को भी गोली मार ली।
जर्मनी के जॉन रिचर्ट नामक जल्लाद ने साल 1939 से 1945 तक सबसे ज्यादा लोगों को फांसी पर लटकाया था। वह एक नाजी था। कहते हैं कि उसने अपने करियर में 3000 से ज्यादा लोगों को फांसी पर लटकाया था। बाद में उसका इलाज एक मनोरोग अस्पताल में चल रहा था, जहां 26 अप्रैल 1972 में 78 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई।
ऑटोमन शासन में रहने वाला जल्लाद सॉफ्लिकर बेहद ही क्रूर जल्लादों में से एक था। उसने महज पांच साल में 5000 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा था। कहते हैं कि वो हर रोज तीन लोगों को फांसी पर लटका कर या उनका सिर काटकर सजा-ए-मौत देता था और फिर अपराधियों के शव पानी में बहा देता था।
मध्यपूर्व एशिया का एक देश है यमन, जहां के जल्लाद सालेह शम्सदीन ने करीब 300 अपराधियों को मौत के घाट उतारा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सालेह महज 12 साल की उम्र में ही जल्लाद बन गए थे। दरअसल, यमन में मौत की सजा अपराधियों को बीच चौराहे पर गोली मारकर दी जाती है और इसका समय होता है सुबह नौ बजे से दस बजे तक। सालेह अपराधियों पर बेहद करीब से दो बार बंदूक से फायर करते हैं और उन्हें मौत की नींद सुला देते हैं।