सेवानिवृत्ति के अवसर पर 33 सालों के करियर का खाका खींचा संभागायुक्त ने
संभागायुक्त श्री दिलीप वासनीकर को सेवानिवृत्ति के अवसर पर भावभीनी विदाई
आखरी दिन जब संभागायुक्त आफिस पहुंचे तो सभी अधिकारी-कर्मचारी उनके स्वागत के लिए खड़े थे, उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति के अवसर पर भी इतना स्नेह मिलेगा, सोचा नहीं था
दुर्ग कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने कहा था एक सप्ताह से कर रहे थे सेवानिवृत्ति के अवसर को यादगार बनाने की तैयारी, संभागायुक्त का मार्गदर्शन हमेशा काम आएगा
दुर्ग ,संभागायुक्त श्री दिलीप वासनीकर 33 साल की शासकीय सेवा पूरी करने के पश्चात आज सेवानिवृत्त हुए। उनकी सेवानिवृत्ति को संभागायुक्त कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों ने यादगार बना दिया। शासकीय सेवा के अपने अंतिम दिन जब संभागायुक्त हमेशा की तरह साढ़े दस बजे कार्यस्थल पर पहुंचे तो आयुक्त कार्यालय के सभी अधिकारी-कर्मचारी उनके स्वागत के लिए खड़े थे। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति के अवसर पर इतना स्नेह मिलेगा, यह सोचा नहीं था। इस मौके पर अपनी शासकीय सेवा की यात्रा का सिंहावलोकन भी संभागायुक्त ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि डिप्टी कलेक्टर से अपनी यात्रा आरंभ कर वे संभागायुक्त के पद तक पहुंचे। वे दो विश्वविद्यालयों के कुलपति भी रहे। उन्होंने कहा कि जब कोई छात्र किसी विश्वविद्यालय से पढ़कर निकले और वहां का कुलपति बन जाए तो इससे बढ़कर उसके लिए गौरव की बात कोई नहीं होगी, अपनी शासकीय सेवा के लिए मुझे इस बात से हमेशा गौरव होता है। श्री वासनीकर ने कहा कि हर परिस्थिति में वे शासकीय सेवा में आने वाली चुनौतियों का सामना करने खड़े रहे। उन्होंने कहा कि बस्तर में कठिन परिस्थितियों में भी अपने पद से जुड़े हुए कर्तव्यों का निर्वाह किया और ऐसी जगहों में गए जो काफी संवेदनशील थी, इस बात से बहुत आत्मसंतोष मिलता है कि आम जनता के कार्यों को करने का अवसर मिला और इसमें अपनी शतप्रतिशत क्षमता का प्रयोग भी किया। उन्होंने कहा कि इस लंबे सफर में मुझे भोपाल प्रशासन अकादमी से लेकर अब तक के वरिष्ठ अधिकारी याद आ रहे हैं जिन्होंने मार्गदर्शन दिया। विभिन्न विभागों में जैसे खाद्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, नगर निगम में रहकर कार्य के वैविध्य का आनंद लिया। गरियाबंद जैसे जिले में कलेक्टर के रूप में गए जो अभी-अभी बना था। शून्य से इस जिले को खड़ा करना था, यह सब याद आता है तो बड़ा अच्छा लगता है।
कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने कहा कि आपने समन्वय और सामंजस्य का सुंदर उदाहरण हमारे समक्ष रखा- कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने इस अवसर पर कहा कि संभागायुक्त के रूप में आपसे सतत मार्गदर्शन मिलता रहा। आपने सभी विभागों के समन्वय का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया जिससे संभाग का कार्य काफी सहज हुआ। आपने अपने कार्यों से अमिट छाप छोड़ी है जो हमेशा आपके सबआर्डिनेट्स के मन में रहेगी। कलेक्टर ने यह भी कहा कि इसके साथ ही आप फिजिकल फिटनेस पर भी इतना जोर देते हैं। रनिंग, साइक्लिंग जैसे फिटनेस के उपाय करते रहते हैं। यह सब देखकर काफी अच्छा लगता है।
शालीनता और सशक्तता श्री वासनीकर के स्वभाव की बड़ी विशेषता- इस मौके पर कवर्धा कलेक्टर श्री अवनीश शरण ने कहा कि शालीनता और सशक्तता श्री वासनीकर के स्वभाव की बड़ी विशेषता रही। किस तरह से सौम्यता से अपनी बात रखकर भी कार्य कराया जा सकता है यह कमाल का हुनर उनके पास रहा। कठिन परिस्थिति में भी बिना अपना आपा खोये संयम से बिना झल्लाये कार्य करने का उनका स्वभाव रहा जिससे इतना लंबा शासकीय जीवन का यशस्वी सफर वे तय कर सके। मैं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
अन्य अधिकारी-कर्मचारियों ने भी दी विदाई- इस मौके पर डिप्टी कमिश्नर श्री बीएल गजपाल ने भी संभागायुक्त के साथ कार्य के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि कार्य के प्रति कुशलता और समझ का विलक्षण गुण रखने की वजह से वे इतना बेहतर कार्य कर पाए। उनके समय में बहुत से प्रकरण हल हुए और आवेदकों को राहत मिली। हुए इन शिक्षक-शिक्षिकाओं को निरंतर इस दिशा में सक्रियता के साथ बच्चों की पढ़ाई में योगदान देने प्रोत्साहित किया है।