भारत का राजचिह्न : जानें क्या दर्शाते हैं इसके चारों शेर
नई दिल्ली
भारत के राजचिह्न को सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। राजचिह्न में चार सिंह हैं, पर इसमें से सिर्फ तीन ही दिखाई देते हैं। एक सिंह आकृति के पीछे छिप जाता है। राजचिह्न के निचले हिस्से पर आर्दश वाक्य 'सत्यमेव जयते' लिखा है। यह आदर्श वाक्य मुण्डकोपनिषद से लिया गया है। भारत सरकार ने राजचिह्न को 26 जनवरी 1950 को अपनाया था। आज हम आपको बताएंगे भारत के राजचिह्न के बारे में कई दिलचस्प बातें…
सम्राट अशोक मौर्य वंश के तीसरे राजा थे। उनका राज्य हिंदू कुश से बंगाल की खाडी तक फैला हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने बुद्ध की शरण ले ली थी, जिसके बाद उन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने जीवन के प्रति श्रद्धा, सहिष्णुता, करुणा और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को अपने प्रशासन का आधार बनाया।
एक और चीज जो अशोक स्तंभ से ली गई है, वो है अशोक चक्र।अशोक चक्र को राष्ट्रध्वज में देखा जाता है। यह बौद्ध धर्मचक्र का चित्रण है। इसमें 24 तीलियां हैं। अशोक चक्र को कर्तव्य का पहिया भी कहा जाता है। इसमें मौजूद तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं।
असली अशोक स्तंभ में चार शेर हैं। ये चारों शेर- शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक हैं। इसके निचले हिस्से पर एक घोड़ा और बैल है। घोड़े और बैल के बीच में एक पहिया यानी धर्म चक्र है। अशोक स्तंभ की पूर्व दिशा की ओर हाथी, पश्चिम की ओर बैल, दक्षिण की ओर घोड़ा और उत्तर की ओर शेर हैं।
इस पूरे चिन्ह को कमल के फूल की आकृति के ऊपर उकेरा गया है। असल में यह बड़े स्तंभ पर बनाया गया है, इसे लायन कैपिटल कहा जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक अशोक स्तंभ तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया था। यह स्तंभ सारनाथ के पास उस जगह को चिन्हित करने के लिए बनाया गया था, जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।