उत्सव मनाते है लेकिन भूल जाते हैं भगवान को – जया किशोरी
रायपुर
श्रीमद् भागवत कथा प्रसंग में भगवान की लीलाओं का श्रद्धालुजनों ने दर्शन किया और वे इतने भाव-विभोर हो गए कि स्वयं भी थिरकने लगे। अवधपुरी मारूति मंगलम भवन गुढि?ारी में श्रीमद् भागवत कथा में जया किशोरी जी ने जहां अपने सुमधुर भजनों के माध्यम से भगवान की लीलाओं का जीवंत झांकियों के माध्यम से दर्शन कराया तो श्रद्धालुजन भी स्वयं को नाचने से नहीं रोक पाए। उन्होने भजन के माध्यम से भगवान की लीलाओं के कारणों की व्याख्या भी करते जा रही थी। उन्होंने कहा कि भगवान ने जीतनी भी लीलाएं की है वह जीवों के लिए वे अपनी लीलाओं से समझाते भी है और उन्हें सजग भी करते है कि उन्हें कैसे अपना जीवन यापन करना चाहिए।
अवधपुरी मारूति मंगलम भवन गुढि?ारी में आयोजित जया किशोरी जी ने नंद बाबा भगवान की लीलाओं का उत्सव मनाते है और आनंदित स्वयं भी होते है, दूसरों को भी आनंदित करते है। वे दान देते है, दान सभी को करना चाहिए अपनी यथा शक्तिानुसार। पहले लोग शिक्षा केंद्र, अस्पताल, धर्मशाला बनवाते थे, दूसरों की मदद के लिए। आज मध्यम वर्गीय परिवार सबसे अधिक पीस रहा है वह न तो ऊपर की लेयर में जा पा रहे है और न ही नीचे की लेयर में शामिल हो पाते।
उन्होंने कहा कि मनुष्य भगवान पर ही इल्जाम लगाते है, उनकी बराबरी करते है यह नहीं करना चाहिए यह गलत है। इल्जाम लगाने से पहले वे ग्रंथ पढ़ लें फिर बात करें। उन्होंने कहा कि भगवान जो भी कार्य करते है उनके पीछे कोई न कोई उद्देश्य होता है। उनमें प्रत्येक कार्य जग कल्याण के लिए होते है और आदमी के कार्य स्वयं के कल्याण के लिए होते है। उत्सव मनाना चाहिए लेकिन उत्सव मनाते समय भगवान को कभी नहीं भूलना चाहिए। उत्सव के केंद्र में भगवान ही होने चाहिए तभी उत्सव मनाने की सार्थकता है।
जया किशोरी जी ने छोटे-छोटे प्रसंगों के माध्यम से भगवान की लीलाओं के बारे में कहा कि इस भौतिक युग में भी वे आज भी सार्थक है और उनकी महिमा है। शर्त केवल इतनी है कि मनुष्य के मन के अंदर वैसा भाव हो। आज मनुष्य करता तो वैसा है लेकिन मन में वैसा भाव नहीं। समझदार ज्ञानी व्यक्ति वहीं है जो भाव में ही भगवान के दर्शन का आनंदित हो जाता है।