300 से अधिक बस्तरवासियों के खिलाफ रमन सरकार द्वारा दायर किये गये झूठे मुकदमों की वापसी और निर्दोषों की रिहाई की प्रक्रिया का कांग्रेस ने किया स्वागत
रायपुर/21 जनवरी 2020। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा के 15 वर्ष के शासनकाल में बस्तर में लगातार हत्यायें, अनाचार, अत्याचार की घटनायें होती रही, कांग्रेस की सरकार बनने पर इस पर रोक लगाई गई। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद माओवादी घटनाओं में भी कमी आई है। बस्तर अब सुख, समृद्धि और शांति की ओर बढ़ रहा है। रमन सिंह जी की सरकार के द्वारा निर्दोषों को जेल में डाल दिया गया था, उन प्रकरणों पर पुनर्विचार करने के लिए एक न्यायिक कमेटी बनाई गई है और यह कमेटी गुण दोष के आधार पर सारे प्रकरणों की जांच कर रही है। जिन बस्तरवासियों को निर्दोष पाया गया उनके रिहाई की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। 300 से अधिक आदिवासियों को रिहा किया जा रहा है। और भी प्रकरणों का रिव्यू किया जायेगा और सारे निर्दोषो को रिहा किया जायेगा। कांग्रेस सरकार की, भूपेश बघेल सरकार की यह बड़ी सकारात्मक पहल है और इस पहल का बस्तर सहित पूरे प्रदेश में और पूरे देश में व्यापक स्वागत हो रहा है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में बस्तर में दमन चक्र चरम पर चला और लोगों को गिरफ्तार करने के लिये झूठे मामले जिनमें आबकारी एक्ट के मामले भी शामिल है, बनाये गये। माओवादी होने के झूठे आरोप लगाकर बिना किसी सबूत के, बिना किसी आरोप के, बिना किसी माओवादी गतिविधि में शामिल हुये निर्दोषों को भाजपा सरकार में गिरफ्तार किया गया। ऐसे सारे प्रकरणों का रिव्यू किया जा रहा है। निर्दोष बस्तरवासियों को जेल में रखने के पक्ष में कांग्रेस की सरकार नहीं है।
कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से माओवादी घटनाओं में गिरावट आई है। लगातार आप देख रहे होंगे कि बस्तर में खून खराबे की घटनाएं अब नहीं हो रही है। बस्तर में एक सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है। अगर हम बस्तरवासियों की बेरोजगारी की समस्या को एड्रेस करेंगे कि भूपेश बघेल की सरकार ने किया है। अगर हम बस्तरवासियों के साथ हर सुख दुख में खड़े रहेंगे, तो वो भी समझते है कि उनका सच्चा हितैषी कौन है? कांग्रेस की सरकार बनने पर निश्चित रूप से बस्तर की स्थिति पहले से बहुत बेहतर हुई है।
नक्सल उन्मूलन के नाम पर फर्जी मुठभेड़ गरीब आदिवासियों की हत्याओं ने भाजपा सरकार और जनता के बीच की खाई को और अधिक गहरा ही किया था। लोगो में भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रोश है, भाजपा का बस्तर में जनाधार लगभग समाप्त हो चुका है। बस्तर संभाग में शांति बहाली तो दूर की बात है, भाजपा सरकार ने बस्तर संभाग में कोई भी विकास कार्य नहीं किया। आदिवासी क्षेत्रों में लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने की दिशा में भाजपा सरकार के द्वारा कोई पहल ही नहीं की गयी। नक्सल ग्रस्त क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिये भरपूर धनराशि हो या राज्य सरकार के द्वारा मांगे गये केन्द्रीय सुरक्षा बल या फिर रणनीतिक युद्ध कौशल देश के अन्य राज्यों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ को संसाधन उपलब्ध कराये गये लेकिन छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार संसाधनों का उपयोग सिर्फ भ्रष्टाचार और दीगर कार्यों में करती रही।
नक्सलवाद से निपटने के लिये मिलने वाली धनराशि से कवर्धा में आफिसर क्लब की आलीशान बिल्डिंग बना दी गयी। आदिवासी बच्चियों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिये छात्रावास और आश्रमों के लिये भरपूर धनराशि दी गयी। लेकिन छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार इन आश्रमों में भी बच्चियों को सुरक्षा नहीं दे पायी। आश्रमों में मासूम बच्चियां दुष्कर्म का शिकार होती रही। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार में नक्सल वाद की समस्या के समाधान की इच्छा शक्ति ही नहीं थे। छत्तीसगढ़ से आधी केन्द्रीय सहायता मिलने वाले आन्ध्रप्रदेश में इस समस्या पर काबू पा लिया गया, फिर छत्तीसगढ़ में ऐसा क्यों नहीं हो पाया ? केन्द्र सरकार के मंत्री और कांग्रेस के नेता नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर इन क्षेत्रों के विकास की ललक और विकास से वंचित क्षेत्रों और वहां के लोगों को समाज के मुख्यधारा में लाने की ईमानदार कोशिश कर रहे है। इस तरह के प्रयास का अभाव छत्तीसगढ़ के भाजपा सरकार में हमेशा दिखता रहा। भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्रीगण इन क्षेत्रों में जाना ही नहीं चाहते थे, बस्तर के इलाकों से चुने गये भाजपा के विधायक और मंत्री भी अपने क्षेत्रों में जाने से कतराते रहे। जब बस्तर के जनप्रतिनिधि ही जनता की नहीं सुनते थे, तो बस्तर का विकास कैसे होता?