November 23, 2024

गुरु घासीदास ने समतामूलक समाज की राह दिखायी- मंत्री डाॅ. प्रेमसाय सिंह टेकाम

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राज्य स्तरीय गुरु घासीदास लोक कला महोत्सव का शुभारंभ
रायपुर  जनवरी 2020 / अनुसूचित जाति एवं जनजाति मंत्री डाॅ. प्रेमसाय सिंह ने कहा है कि बाबा गुरू घासीदास ने मनखे-मनखे एक समान का संदेश देकर समता मूलक समाज का संदेश दिया है। बाबा जी ने सत्य अहिंसा का संदेश देकर सभी जीवों के प्रति प्रेम करुणा का उपदेश दिया है। डाॅ. टेकाम आज भिलाई-तीन स्थित मंगल भवन में राज्य स्तरीय गुरु घासीदास लोक कला महोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
डाॅ. टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ की पावन धरती में अनेक संत महात्माओं ने जन्म लिया है। इनमें गुरु घासीदास सर्वोपरि है, जिन्होंने समूचे समाज को एक सूत्र में बांधने और ऊंच-नीच के भेद को मिटाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार बाबा जी के संदेश को आगे बढ़ाने और ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ की दिशा में काम कर रही है। सरकार राज्य की कला संस्कृति को बढ़ावा देने का काम कर रही है। अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगांे के हितों के संवर्धन के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है। इन वर्ग के युवाओं और विद्यार्थियों को सुविधा मुहैया करा रही है, जिससे इनका बेहतर विकास हो सके। डाॅ. टेकाम ने लोगो का आव्हान करते हुए कहा कि सभी बाबा जी के संदेश को आत्मसात कर अपने जीवन में उतारें।
समारोह में डोंगरगढ़ विधायक श्री भुवनेश्वर सिंह बघेल ने कहा कि पंथी नृत्य के माध्यम से गुरु घासीदास के संदेश को सुनने और देखने का मौका मिलता है। इस प्रकार का आयोजन होने से हमे अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं को देखने समझने का अवसर मिलता है।
उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय राज्य स्तरीय गुरु घासीदास लोक कला महोत्सव में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये 30 पंथी नर्तक दलों के बीच प्रतियोगिता होगी। समापन दिवस पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 17 जनवरी को पुरस्कार प्रदान करेंगे। महोत्सव का आयोजन संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किया जा रहा है। इसके पूर्व राज्य सरकार द्वारा राज्य की संस्कृति को सहेजने के उद्देश्य से आदिवासी महोत्सव युवा महोत्सव का आयोजन रायपुर में हो चुका है।
पंथी नृत्य दलों का हुनर देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक -प्रतियोगिता के शुभारंभ अवसर पर विभिन्न पंथी दलों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। नृत्य दलों की गति और हुनर देखकर दर्शक मुग्ध हो गए। छत्तीसगढ़ी संस्कृति की इस अनमोल विधा को दर्शक मंत्रमुग्ध होकर देर तक देखते रहे।

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