December 6, 2025

मरीजों को बेड में बांध डॉक्टर-नर्स लंच पर गए, दो की मौत

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 कानपुर 
उत्तर प्रदेश में कानपुर के हैलट अस्पताल में डॉक्टरों और नर्सों की अमानवीयता से दो मरीजों की मौत होने की सनसनीखेज खबर है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल की सर्जरी इमरजेंसी में कोमा में जा चुके तीन गंभीर मरीजों को बेड पर बांधकर जूनियर डॉक्टर लंच पर चले गए। सुबह 11 बजे से तीन बजे तक डॉक्टर नहीं लौटे और इस बीच दो की मौत हो गई।

इमरजेंसी में स्टाफ नर्स भी मौजूद नहीं थी। दोपहर 3 बजे ड्यटी चेंज हुई और दूसरी स्टाफ नर्स आई तो हल्ला मचा। इमरजेंसी प्रभारी डॉ. विनय कुमार ने स्टाफ नर्स से स्पष्टीकरण मांगा है। शनिवार सुबह करीब 11:30 बजे सर्जरी इमरजेंसी में तीन मरीज भर्ती किए गए थे। इनमें चमनगंज निवासी शब्बीर, नजीराबाद निवासी रामदेव और एक लावारिस था। दो मरीज हेड इंजरी के कारण कोमा में थे। एक मरीज को बैंडेज के जरिए बेड में बांधा गया था, ताकि वह गिर नहीं जाए। रामदेव लगभग ब्रेन डेड की हालत में था।

रामदेव के परिजन किशोर कुमार का कहना है कि भर्ती करते वक्त दो कर्मचारी मौजूद थे। उन्होंने कुछ इंजेक्शन दिया। कहा कि डॉक्टर साहब आ रहे हैं। कुछ देर बाद दो डॉक्टर आए तो उनसे कहा कि मरीज को देख लीजिए। डॉक्टरों ने कहा-अभी सीनियर आएंगे वही देखेंगे। इस बीच एक स्टाफ नर्स भी आ गई। उनसे कहा तो बोलीं-लंच के बाद डॉक्टर मिलेंगे और एक हाथ बेड में बांध दिया। इंतजार करने का भरोसा दिलाकर चली गई। किशोर का कहना है कि लावारिस की हालत और खराब थी। चमनगंज निवासी मरीज भी गंभीर था। दोपहर बाद एक डॉक्टर आए तो बोले, यह मेरा केस नहीं है। इस बीच रामदेव की मौत हो गई। रामदेव को आठ जनवरी को भर्ती कराया गया था। शनिवार को उसे इमरजेंसी में शिफ्ट किया गया था। कुछ देर बाद चमनगंज निवासी शब्बीर ने भी दम तोड़ दिया। तीन में से एक मरीज का हैलट में रिकार्ड में नहीं है। इमरजेंसी प्रभारी डॉ. विनय कुमार का कहना है कि जानकारी ली जा रही है। ऑन ड्यूटी स्टाफ नर्स से स्पष्टीकरण मांगा गया है।

शनिवार को इमरजेंसी में डॉक्टरों के राउंड नहीं हुए
डॉक्टर महीने का दूसरा शनिवार होने के नाते अवकाश मना रहे थे। इमरजेंसी में मेडिसिन विभाग को छोड़कर कोई डॉक्टर सर्जरी या ऑर्थोपेडिक सर्जरी वार्ड में नहीं पहुंचा। एक कर्मचारी का कहना है कि राउंड नहीं होने से सभी बेलगाम रहते हैं। इलाज पूरी तरह से जूनियर डॉक्टर के हवाले रहता है। स्टाफ नर्सों को भी कोई देखने वाला नहीं है। इंजेक्शन भी ट्रेनी छात्राओं से लगवाती हैं। बेड साइड नहीं जाती हैं। इमरजेंसी में घंटे-घंटे भर मरीज पड़े रहते हैं लेकिन उन्हें कोई देखने नहीं पहुंचता।

क्या बोले जिम्मेदार-
हैलट के प्रमुख अधीक्षक प्रो आरके मौर्य ने बताया कि इलाज के बगैर मरीजों की मौत होना गम्भीर घटना है। किसी तरह की शिकायत नहीं मिली है और न ही इमरजेंसी प्रभारी की ओर से किसी तरह की सूचना दी गई है। रविवार को घटना की पड़ताल कराएंगे। देखा जाएगा कि ऑन कॉल डॉक्टर ने देखा है या नहीं ? तभी स्थिति स्पष्ट होगी। 

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