‘दृढ़ता ही सफलता की कुंजी है’, पढ़िए स्वामी विवेकानंद के शक्तिशाली विचार
नई दिल्ली
स्वामी विवेकानंद जयंती यानी राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर आज देशभर में विभिन्न कार्यक्रम किए जा रहे हैं। स्वामी विवेकानंद को लोग आज याद कर रहे हैं और उन्हें अपनी श्रद्घांजिल अर्पित कर रहे हैं। स्वामी विवेकानंद भारत के महानतम धर्म गुरुओं में से एक हैं। स्वामी विवेकानंद का जीवन और उनका संदेश व प्रवचन दुनिया के लाखों लोगों को प्रभावित किया है। वह विद्वता और प्रेरणा के बड़े श्रोत माने जाते हैं। वह अपने धार्मिक ज्ञान से किसी के भी दिल में जगह बनाने और अपने शक्तिशाली विचारों तर्कयुक्त विचारों से किसी सोचने का नजरिया बदलने की क्षमता रखते थे। उनकी इसी प्रभावशाली आभा और दुनिया में भारत की एक अलग पहचान बनाने के लिए देश उन्हें उनकी जयंती पर नमन करता है। स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इसे मौके पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और पदुच्चेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
अध्यात्मिक सहिष्णुता, राष्ट्रीयता और वैचारिक साहस के प्रतीक तथा युवाओं के आदर्श पुरुष स्वामी विवेकानंद की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर युवाओं से अपेक्षा करता हूं स्वामी जी के जीवन और शिक्षाओं का गहन अध्ययन करें और प्रेरणा लें।
स्वामी विवेकानंद का विश्वास था कि हर मानव में दिव्यता अंतर्निहित है। स्वामी जी मन, तन और विचार की निर्बलता को पाप मानते थे। उन्होंने कहा था यदि आप स्वयं पर विश्वास नहीं करते तो आप ईश्वर पर विश्वास नहीं कर सकते।
इस मौके पर लोग सोशल मीडिया पर स्वामी विवेकानंद जी के प्रेरणादायी विचार, क्वेट्स और फोटो शेयर कर रहे हैं। यहां हम स्वामी विवेकानंद के कुछ अमर विचारों को आपके साथ साझा कर रहे हैं जो लोगों को एक अलग ऊर्जा का संचार करने की क्षमता रखते हैं।
"आप जैसा सोचते हैं वैसा बन जाते हैं"
(इसका मतलब हम जो कुछ भी हैं वह अपने विचारों की देन हैं, इसलिए इस बात का बहुत ध्यान रखें कि आप क्या सोच रहे हैं। शब्दों का निर्माण विचारों के बाद होता है, विचार जीवित रहते हैं और दूर तक जाते हैं)
"दुढ़ता ही सफलता की कुंजी है"
यदि आप सफल होना चाहते हैं तो आपके अंदर एक जबरदस्त दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए। 'मैं पूरा समुद्र पी जाऊंगा' या 'मैं जिधर चाहूंगा पहाड़ उधर को ही खिसकेगा', ऐसा कोई दृढ़ आत्मा ही कह सकती है। आपके भीतर ऐसी ही दृढ़ ऊर्जा और इच्छाशक्ति होनी चाहिए। किसी के भीतर ऐसा संकल्प हो और वह कठिन परिश्रम करे तो किसी भी मुश्किल लक्ष्य को भेद सकता है।