निर्भया के गुनहगारों को 22 जनवरी के दिन हो जाएगी फांसी, या टलेगी तारीख?
नई दिल्ली
7 साल 20 दिन बाद पहली बार यह तय हुआ है कि निर्भया के चार गुनहगारों को कब कहां और कितने बजे फांसी दी जाएगी. 22 जनवरी, दिन बुधवार समय सुबह 7.00 बजे. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मुकेश, पवन, अक्षय और विनय की मौत के लिए यही तारीख, दिन और वक्त मुकर्रर किया है. मगर क्या सचमुच 22 जनवरी को इन चारों को फांसी हो जाएगी? या फिर मौत की तारीख आगे भी टल सकती है?
ये सवाल इसलिए सर उठा रहे हैं क्योंकि कानून के जानकारों की मानें तो इन चारों के पास अब भी लाइफ लाइन बाकी हैं और इन्हीं लाइफ लाइन का इस्तेमाल कर वो फांसी की तारीख आगे बढ़वाने की कोशिश भी कर सकते हैं. कोर्ट के फैसले के हिसाब से अब इन चारों के पास सिर्फ 14 दिन की सांसें बाकी रह गई हैं. 15वें दिन ये चारों अपने अंजाम को पहुंच जाएंगे. उस गुनाह के लिए, जिसे इन्होंने अपने दो और साथियों के साथ मिलकर 16 दिसंबर 2012 को अंजाम दिया था.
पटियाला हाउस कोर्ट ने तो इन चारों के डेथ वॉरंट जारी कर दिए. डेथ वॉरंट पर मौत की तारीख और वक्त भी लिख दिया. एक सवाल अब भी बना हुआ है. सवाल ये कि क्या सचमुच 22 जनवरी की सुबह सात बजे इन चारों को फांसी हो जाएगी या 22 जनवरी की तारीख भी टल सकती है. सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि निर्भया के इन चारों गुनहगारों के पास अभी भी कुछ लाइफ लाइन बाकी है. इन चारों में से किसी के पास पुर्नविचार याचिका का अधिकार बचा हुआ है तो किसी के पास क्यूरेटिव पिटिशन का. मर्सी पिटिशन यानी दया याचिका का इस्तेमाल तो इनमें से एक को छोड़कर बाकी तीन ने अभी तक किया ही नहीं है. यानी ये लाइफ लाइन भी अभी इन्होंने बचा के रखी है.
कोर्ट ने चुनौती देने के लिए दिया है सात दिन का वक्त
अब सवाल ये है कि ये सारी कानूनी अड़चने क्या अगले 15 दिनों में दूर हो जाएंगी या दूर हो सकती हैं? डेथ वॉरंट जारी करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती देने के लिए चारो को 7 दिन का वक्त दिया है. यानी चारों इसे ऊपरी अदालत में भी चुनौती दे सकते हैं. अगर वे डेथ वॉरंट को चुनौती ना भी दें तो भी क्यूरेटिव पिटिशन की लाइफ लाइन लेकर वो सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. इसके लिए भी इनके पास 7 दिन का वक्त है. क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए मसौदा तैयार करने के नाम पर वकील आराम से दो-चार-छह दिन ले सकता है. क्योंकि ये 7 दिन के अंदर करना है तो वो 5वें या छठे दिन भी जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर सकते हैं क्यूरेटिव पिटिशन
एक बार क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल होने पर अब सुप्रीम कोर्ट अपनी सुविधा के हिसाब से उस पर सुनवाई की तारीख देगा. सुप्रीम कोर्ट चाहे तो अगले ही दिन इसपर सुनवाई कर सकता है या फिर आगे की कोई तारीख दे सकता है. यदि सुप्रीम कोर्ट ने अगली ही तारीख दे दी और उसी दिन क्यूरेटिव पिटिशन खारिज भी कर दी, तो भी 22 जनवरी को ही फांसी होगी यह पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है. वह इसलिए क्योंकि फांसी के तख्ते के बिलकुल करीब खड़े निर्भया के गुनहगारों के पास दया याचिका की एक और लाइफ लाइन बची हुई है.
क्यूरेटिव पिटिशन खारिज हुई तो दाखिल करेंगे दया याचिका
दया याचिका ये तभी दाखिल करेंगे जब एक बार सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटिशन खारिज हो जाएगी, उससे पहले नहीं. राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का जो तरीका है वो ये है कि गुनहगार पहले दया याचिका पर खुद दस्खत करेंगे. इसके बाद ये याचिका तिहाड़ जेल प्रशासन दिल्ली सरकार को भेजेगा. दिल्ली सरकार अपनी राय के साथ इसे गृह मंत्रालय को भेजेगी. गृह मंत्रालय अपनी राय के साथ इसे राष्ट्रपति भवन भेजेगा. दया याचिका पर राष्ट्रपति जो भी फैसला लें उनके दस्तखत के बाद ये ठीक उसी तरीके से वापस तिहाड़ जेल पहुंचेगी.
करना पड़ सकता है नई तारीख का इंतजार
अब ऐसे में अगर जोड़ घटाव करें और मान लें कि सुप्रीम कोर्ट क्यूरेटिव पिटिशन पर 8 से 10 दिन में अपना फैसला दे दे. तो भी क्या 5 से 7 दिन में राष्ट्रपति भवन दया याचिका पर अपना आखिरी फैसला दे देगा? अगर जवाब हां में है तो मान लीजिए कि 22 जनवरी सुबह 7 बजे इन चारों की मौत यकीनी है और अगर जवाब न में है तो फिर मौत की नई तारीख का इंतजार करना होगा.