जेएनयू परिसर में हुई हिंसा के मामले में जांच में जुटी है दिल्ली पुलिस
नई दिल्ली
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में रविवार यानी पांच जनवरी को हुई हिंसा की परतें खोलने के लिए सबूत जुटाने में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को कड़ाके की ठंड में भी ‘पसीना’ आ रहा है। इसके पीछे तीन प्रमुख वजहें सामने आई हैं। पहली वजह जेएनयू प्रशासन का 'ढीला रवैया', दूसरी वजह स्थानीय पुलिस की सुस्ती, और तीसरी वजह छात्रों के एक वर्ग द्वारा विश्वविद्यालय का पूरा इंटरनेट नेटवर्क (सर्वर कंट्रोल रूम) सिस्टम तबाह कर दिया जाना। इसके चलते मामले की जांच में जुटी अपराध शाखा को अभी तक सीसीटीवी फुटेज तकरीबन न के बराबर ही मिलने की उम्मीद है।
3 जनवरी को ही तैयार हो गई थी भूमिका?
घटना की जांच से जुड़े अपराध शाखा के एक आला-अफसर ने मंगलवार को नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक की तरफ से हमें (3 जनवरी, 2020 से अभी तक यानी 7 जनवरी, 2020 तक) महज एक ही मामले की जांच अधिकृत रूप से सौंपी गई है। वह घटना है पांच जनवरी, 2020 को दोपहर से शुरू रात तक कैंपस में हुई हिंसा की।’ दो दिन से जेएनयू परिसर में डेरा डाले अपराध शाखा की टीम के एक अन्य अधिकारी ने चौंकाने वाला सच बयान किया। अधिकारी ने बताया, ‘पांच जनवरी को कैंपस में हुए खून-खराबे की भूमिका तो तीन जनवरी को ही बना ली गई थी। तीन जनवरी वाले झगड़े की आग धीरे-धीरे सुलगते-सुलगते चार जनवरी तक यानी अगले दिन तक पहुंच गई। तीन जनवरी को झगड़ा तब शुरू हुआ, जब जेएनयू छात्रसंघ की मंशा के खिलाफ जाकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रोविजनल ऐडमीशन प्रक्रिया को ‘ऑन-लाइन’ खोल दिया।’’
क्राइम ब्रांच के ही एक अन्य अधिकारी के मुताबिक, ‘विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ऑनलाइन प्रोविजनल ऐडमीशन प्रक्रिया का चालू कर दिया जाना, जेएनयू छात्रसंघ नेताओं को बेहद अखरा। लिहाजा तीन जनवरी को दिन के वक्त उन्होंने (जेएनयू छात्रसंघ नेता) विवि इंटरनेट ‘सर्वर-रूम’ में जबरिया घुसकर उसे छतिग्रस्त कर दिया। इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा घटना वाले दिन ही वसंतकुंज (उत्तरी) थाने में केस दर्ज करा दिया गया था। हालांकि तीन जनवरी को विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोशिश करके किसी तरह से अस्थाई रूप से विवि के सर्वर रूम को चालू करके नेटवर्क बहाल कर लिया था।’
पुलिस ने समझा सामान्य मामला
तीन जनवरी की घटना के संबंध में दर्ज FIR को वसंतकुंज थाना (दक्षिण-पश्चिम जिला पुलिस) पुलिस रोजमर्रा की रूटीन प्रक्रिया समझकर शांत होकर बैठ गई। जिला पुलिस के इस निठल्लेपन का बेजा इस्तेमाल चार जनवरी को छात्रसंघ के कुछ नेताओं ने फिर कर लिया। जांच में सामने आए तथ्यों और वसंतकुंज थाने में चार जनवरी को दर्ज एफआईआर नंबर-4 के मुताबिक, ‘चार जनवरी यानी शनिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन से एक दिन पहले से ही खार खाए बैठे, छात्रसंघ के कुछ नेता विश्वविद्यालय के सर्वर रूम में पिछले दरवाजे से दोबारा जा घुसे। उस दिन सुनियोजित तरीके से किए गए हमले में सर्वर रूम को शत-प्रतिशत नेस्तनाबूद कर दिया गया।’