फर्जी दस्तावेज से नौकरी, कोर्ट ने किया तलब
दुर्ग
फर्जी दस्तावेज के जरिए बीएसपी में नौकरी करने वाले एक प्रकरण में आरोपी को अपराध घटित करने में सहयोग एवं आरोपी को बचाने, जांच में ढिलाई बरतने के आरोप में कोर्ट ने तीन पुलिस अधीक्षक व एक सेवानिवृत्त थाना प्रभारी को 29 जनवरी को कोर्ट में उपस्थित होने व बचाव करने का आदेश दिया है।
जानकारी के मुताबिक खुसीर्पार निवासी श्रीनिवास राव पिता एम. गौरय्या बीएसपी में नौकरी कर रहा था। उसने छल कपट कर गलत आदमी का पुत्र बनकर फर्जी दस्तावेज के जरिए अनुकंपा नियुक्ति में प्लांट अटेन्डेंट के पद पर कार्य कर रहा था। इसकी शिकायत परिवादी रामचरण मांझी निवासी खुसीर्पार ने की थी। विजलेंस द्वारा जांच के बाद श्रीनिवास राव को 19 अगस्त 1999 में हटा दिया गया था। बाद में अधिकारियों से सांठ गांठ कर वह पुन: नौकरी पर आ गया।
अधिवक्ता रामबाबू गुप्ता ने बताया कि रामचरण द्वारा न्यायालय में परिवाद पेश करने के पूर्व थाना भिलाई भ_ी, पुलिस अधीक्षक दुर्ग तथा बीएसपी के अधिकारियों से शिकायत की थी। इसके बाद पुनरीक्षण आवेदन पत्र कोर्ट प्रस्तुत किया गया था। कोर्ट ने पाया कि श्रीनिवास राव के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई थी, बल्कि श्रीनिवास राव को अपराध घटित करने में सहयोग प्रदान किया गया। इस पर द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रामजीवन देवांगन की कोर्ट ने तत्कालीन एएसपी तथा वर्तमान में एसपी एम.एल. कोटवानी, एसपी प्रशांत ठाकुर, एसपी राजेश अग्रवाल तथा तत्कालीन थाना प्रभारी बुद्धसेन शर्मा को 29 जनवरी को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है।