पेट का कैंसर कम उम्र के लोगों के लिए अधिक खतरनाक
बीमारी कोई भी हो, बुरी ही होती है। लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जो बड़ी उम्र में हो जाएं तो जानलेवा साबित होती हैं जबकि यंग ऐज में हम लोग उन्हें आसानी से झेल जाते हैं। वहीं, कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जिन्हें ओल्ड ऐज में बॉडी आसानी से झेल जाती है जबकि युवावस्था में वे जानलेवा साबित होती हैं। ऐसी ही एक बीमारी है पेट का कैंसर। यह जानकर आपको हैरानी जरूर होगी लेकिन हेल्थ स्टडी में यही बात सामने आई है।
चिंता की बात यह है कि आमाश्य में होनेवाला यह कैंसर जितनी तेजी से होता है, उतनी ही तेजी से फैलता भी है। वहीं, 60 साल से कम उम्र वाले लोगों में यह ज्यादा घातक स्थिति में ग्रो करता है। स्टडी में सामने आया है कि पेट का यह कैंसर जेनेटिकली दूसरे कैंसर से अलग है और इस पर कीमोथेरपी भी लगभग बेअसर रहती है। एक तरफ जहां बड़ी उम्र के लोगों में पेट के कैंसर की दिक्कत पिछले कुछ साल में कम होती दिख रही है, वहीं कम उम्र के वयस्कों में यह तेजी से ग्रो कर रहा है। पेट में होनेवाले कैंसर का यह लगभग एक तिहाई हिस्सा बन चुका है।
इस स्टडी के को-ऑर्थर और रोचेस्टर मेयो क्लिनिक में ऑन्कॉलजिस्ट सर्जन, डॉक्टर ट्रैविज ग्रोटेज के अनुसार, पेट के कैंसर की बढ़ती बीमारी एक खतरनाक स्थिति है। क्योंकि यह जीवन को तेजी से खत्म कर देती है। आमाश्य में होनेवाले इस कैंसर के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है। इस कैंसर के शुरुआती लक्षणों से जुड़ी जानकारी के अभाव के कारण यह तेजी से फैलता रहता है और पेशंट इसे गंभीरता से नहीं ले पाता और मेडिकल जांच की जरूरत को अनदेखा करता रहता है। इस कारण युवा मरीजों में जब तक बीमारी की पहचान हो पाती है, यह गंभीर स्तर पर पहुंच चुकी होती है।
शोधकर्ता टीम ने वर्ष 1973 से लेकर साल 2005 तक के कुछ खास डेटा पर स्टडी की। इस दौरान पेट के कैंसर के मरीजों के 75 हजार से अधिक केसेज सामने आए। इस स्टडी पीरियड में वृद्ध लोगों में पेट के कैंसर का स्तर दो प्रतिशत तक कम हुआ। लेकिन कम उम्र के वयस्को में यह बीमारी 1.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने लगी। इसकी बढ़त खासतौर से 2013 के बाद नोटिस की गई और यह वृद्धि लगातार बनी रही। खासतौर पर उन लोगों के बीच जो अपनी उम्र के 40, 50 या 60वें दशक को जी रहे हैं। यह रिसर्च 'जर्नल सर्जरी' के ताजा अंक में प्रकाशित हुई है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यह स्टडी इस अलग तरह के पेट के कैंसर से जुड़े रिस्क फैक्टर्स को पता लगा पाने में मददगार साबित होगी।