बॉक्सिंग के ओलंपिक क्वालीफायर में जीतीं मैरी कॉम, हारीं निखत जरीन से क्या विवाद हुआ कि मैरी कॉम हाथ नहीं मिलाया
नई दिल्ली
तेलंगाना की युवा मुक्केबाज निखत जरीन को ओलंपिक क्वॉलिफायर ट्रायल्स के फाइनल में छह बार की विश्व चैम्पियन मैरी कॉम के हाथों हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद वह खेल जगत में 'हक की लड़ाई' की मिसाल बन गईं। मैरी के साथ मुकाबले के लिए निखत को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था। वह भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के खिलाफ भी गईं और सफल भी रहीं। उन्हीं की जिद ने महासंघ को अपना फैसला बदलने और पुराने नियमों पर लौटने के लिए मजबूर कर दिया था।
निखत की लड़ाई बीएफआई अध्यक्ष अजय सिंह के उस बयान से शुरू हुई थी, जिसमें उन्होंने नियमों को पलट मैरी कॉम को सीधे ओलंपिक क्वॉलिफायर में भेजे जाने की बात कही थीं। यहां निखत की भौहें तन गईं और उन्होंने फैसला किया कि वह महासंघ और दिग्गज मुक्केबाज के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगी जो उनसे उनका वाजिब हक छीनने में लगे हुए हैं।
दरअसल, रूस में खेली गई विश्व चैम्पियनशिप में मैरी कॉम ने 51 किलोग्राम भारवर्ग में कांस्य जीता था। इस जीत के बाद अजय सिंह ने मैरी कॉम को ओलंपिक क्वॉलिफायर में सीधे भेजने की बात कही थी जो बीएफआई के नियमों के उलट थी। बीएफआई ने सितंबर में जो नियम बनाए थे उनके मुताबिक विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण या रजत पदक जीतने वाली खिलाड़ियों को ही ओलंपिक क्वॉलिफायर के लिए डायरेक्ट एंट्री मिलेगी और जिस भारवर्ग में भारत की मुक्केबाज फाइनल में नहीं पहुंची हैं, उस भारवर्ग में ट्रायल्स होगी।
इस नियम के हिसाब से मैरी कॉम को ट्रायल्स देनी थी, लेकिन अजय सिंह के बयान के बाद वह सीधे ओलंपिक क्वॉलिफायर में जाने की हकदार बन गईं। यही बात निखत को आखिरी और उन्होंने मुखर रूप से अपनी बात रखते हुए महासंघ को कठघरे में खड़ा कर ट्रायल्स आयोजित कराने की मांग की।
निखत ने बीएफआई को पत्र में भी लिखा और मीडिया के सामने भी अपनी बात रखने से पीछे नहीं हटीं। उन्होंने खुले तौर पर मैरी कॉम को चुनौती दी थी। निखत ने डटकर जो लड़ाई लड़ी उसका फल उन्हें मिला और बीएफआई अपने पुराने फैसले पर लौट आई। उसने अंतत: ट्रायल्स कराने का फैसला किया और निखत ने अपने हक के लिए जो लड़ाई लड़ी थी, उसमें बीएफआई को झुकाकर जीत हासिल करने में सफल रहीं और मैरी कॉम को रिंग में उतरने पर मजबूर कर दिया।
शनिवार को निखत के साथ मुकाबले के बाद मैरी कोम बिना हाथ मिलाए ही रिंग से बाहर चली गईं। यह भी उनके अहम का प्रतीक है। मैरी एक सीनियर मुक्केबाज हैं और सालों से निखत जैसी कई मुक्केबाजों के लिए आयडल रही हैं और ऐसे में उन्हें बड़प्पन का परिचय देते हुए निखत से हाथ मिलाना चाहिए था। मुकाबले के बाद मैरी ने कहा, “ मैं उससे (निखत) से हाथ क्यों मिलाऊं। उसे सम्मान हासिल करने के लिए दूसरों का सम्मान करना चाहिए था। उसे खुद को रिंग में साबित करना चाहिए था न कि रिंग के बाहर। ” मैरी के इस बयान से साबित होता कि वह रिंग के बहर किसी भी खिलाड़ी की हक की लड़ाई को जायज नहीं मानतीं।''
अजय सिंह के इस बयान के बाद निखत ने कहा था, “हर कोई किसी भी दिन जीत सकता है। यह मुक्केबाजी है। मैं यह नहीं कह रही कि मुझे ही भेजो, लेकिन कम से कम मुझे मौका तो दें। मैं उनसे बात करने की कोशिश करूंगी। इससे पहले उन्होंने कहा था कि विश्व चैंपियनशिप में सिर्फ स्वर्ण और रजत पदक विजेता खिलाड़ी ही ओलंपिक क्वॉलिफायर के लिए अपने आप चुने जाएंगे, लेकिन वह अब महिलाओं के लिए नियम बदल रहे हैं।”
निखत जरीन ने इस मामले को लेकर खेलमंत्री किरेन रिजिजू को भी खत लिखा था। जरीन ने अपने खत में लिखा था, 'सर, खेल का आधार निष्पक्षता है और किसी को हर समय खुद को साबित करने की जरूरत होती है। यहां तक कि ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट को भी अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए फिर से मुकाबला करना होता है।'
निखत जरीन के इस बयान के बाद मैरीकॉम ने कहा कि वह ओलंपिक क्वॉलिफायर के लिए ट्रायल्स में निखत जरीन से भिड़ने से नहीं डरती, क्योंकि यह महज एक औपचारिकता भर होगी। मैरीकॉम ने कहा था, ''यह फैसला बीएफआई द्वारा लिया जा चुका है। मैं नियम नहीं बदल सकती। मैं सिर्फ प्रदर्शन कर सकती हूं। वो जो भी फैसला करेंगे, मैं उसका पालन करूंगी। मैं उससे (जरीन) से भिड़ने से नहीं डरती, मुझे ट्रायल्स से कोई परेशानी नहीं है।''