19 सालों से मुनाफे के साथ मिसाल बना त्रिपुरा ग्रामीण बैंक
देश में जब कई बड़े बैंक घाटे में चल रहे हैं और उन्हें सरकारी मदद की जरूरत पड़ रही है ऐसे में देश का एक ग्रामीण बैंक लगातार 19 सालों से मुनाफे के साथ मिसाल बन रहा है। त्रिपुरा ग्रामीण बैंक (टीजीबी) ने चालू वित्तवर्ष की पहली छमाही में 44.43 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है। इसके साथ ही बैंक ने 2019-20 में कुल 10 हजार करोड़ रुपये के व्यापार को पार करने की परिकल्पना भी की है। एक शीर्ष बैंक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि भारत के 45 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) में से एक टीजीबी लगातार 19 वर्षों से लाभ कमा रहा है।
टीजीबी के अध्यक्ष महेंद्र मोहन गोस्वामी के अनुसार, बैंक 2001-02 से ही लाभ कमा रहा है और यह भारत के 45 आरआरबी के बीच अपनी तरह का ऐसा पहला बैंक है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर) में बैंक ने 44.43 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है, जोकि पिछले वित्त वर्ष (2018-19) की इसी अवधि में 11.36 करोड़ रुपये के मुकाबले अधिक है। भारत में पहले 56 आरआरबी थे। उनमें से कई आपस में मिल गए या अपने प्रायोजक बैंकों में विलय हो गए।
गोस्वामी ने कहा कि पिछले वित्तवर्ष (2018-19) में टीजीबी ने 125.45 करोड़ रुपये का रेकॉर्ड शुद्ध लाभ हासिल किया था जो कि 1976 में बैंक के अस्तित्व के बाद से सबसे अधिक था और बैंक ने कुल 9,000 करोड़ रुपये के कारोबार को भी पार कर लिया है।
गोस्वामी ने कहा, 'वर्तमान में बैंक की त्रिपुरा में 12 अल्ट्रा स्माल ब्रांच (यूएसबी) सहित कुल 160 शाखाएं हैं। बैंक की जमा पूंजी (डिपॉजिट) में 8.94 फीसदी की वृद्धि हुई, जिसके बाद 30 सितंबर को इसका लाभ 6617 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले साल इस अवधि तक 6073.81 करोड़ रुपये था।'
इस बीच त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा कि बीजेपी शासन के 20 महीनों में त्रिपुरा में राष्ट्रीयकृत बैंकों का क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात 18 फीसदी बढ़कर कुल 66 फीसदी हो गया है। मुख्यमंत्री ने यहां एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हालांकि यह अभी भी राष्ट्रीय औसत से नीचे है।