November 23, 2024

क्या क्रॉस वोटिंग बदल देगी छत्‍तीसगढ़ में शहरी सरकारों का चेहरा!

0

रायपुर
नगरीय निकाय चुनाव में पार्षदों के चयन के बाद अब राजनीतिक दलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्षदों को अपने पाले में रोकने की है। सात नगर निगम में कांग्रेस और भाजपा को बहुमत नहीं मिला है। अब यहां दोलों दल अपने महापौर बनाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। सबसे ज्यादा खींचतान रायपुर नगर निगम को लेकर चल रही है।

कांग्रेस के ज्यादा पार्षद होने के बाद भी भाजपा ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। भाजपा ने निर्दलीय और बागियों से समर्थन तो साधना शुरू किया है, लेकिन कांग्रेस के कुछ पार्षद भी उनके संपर्क में है। दरअसल, महापौर के चुनाव में दल बदल कानून लागू नहीं होता है। ऐसे में क्रॉस वोटिंग महापौर का चेहरा बदल सकती है। दोनों पार्टियां अलग-अलग निगमों के लिए अलग- अलग रणनीति पर काम कर रही हैं।

राजनीतिक हलके में चर्चा है कि कांग्रेस से महापौर के तीन दावेदार प्रमोद दुबे, ज्ञानेंश शर्मा और एजाज ढेबर हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का समर्थन अब तक खुलकर सामने नहीं आया है। इन तीन दावेदारों में एक दावेदार को लेकर कांग्रेस पार्षदों में भारी नाराजगी है।

सूत्रों की मानें तो अगर उन्हें उम्मीदवार बनाया जाता है तो कांग्रेस के सात से आठ पार्षद क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। दुबे केंद्रीय नेताओं से संपर्क करके दावेदारी को मजबूत कर रहे हैं। तो शर्मा स्थानीय स्तर पर दावेदारी पेश कर रहे हैं।

प्रभारी मंत्री रविंद्र चौबे के करीबी शर्मा को कांग्रेस पार्षदों का भी समर्थन है। वहीं, ढेबर को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री कैंप से उनका नाम आगे आएगा। भाजपा के आला नेताओं की मानें तो कांग्रेस अगर उम्मीदवार चयन में गड़बड़ी करती है और पार्षदों की मंशा के खिलाफ जाकर उम्मीदवार बनाती है, तो उनका महापौर का प्रत्याशी जीत सकता है। भाजपा से मीनल चौबे और मृत्युंजय दुबे में से किसी एक को उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

रायपुर नगर निगम में बहुमत नहीं होने के बाद भी भाजपा तीन फार्मूले पर काम कर रही है। पहला निर्दलीय पार्षदों को साथ लाने की कोशिश चल रही है। सात में से पांच निर्दलीय भाजपा के बागी हैं। दूसरा कांग्रेस के नाराज पार्षदों को अपने पाले में करने की कोशिश चल रही है। प्रमोद दुबे के कार्यकाल में उपेक्षित कांग्रेसी पार्षद भाजपा नेताओं के संपर्क में भी हैं। तीसरा किसी निर्दलीय को महापौर का उम्मीदवार बनाकर बाहर से समर्थन दिया जा सकता है।

कोरबा नगर निगम में भाजपा के ज्यादा पार्षद होने के बाद भी कांग्रेस इसी रणनीति पर काम कर रही है। बताया जा रहा है कि बागियों को अपने पाले में करने के लिए प्रभारी मंत्री से लेकर संगठन के नेताओं को मैदान में उतारा गया है। भाजपा की ताकत को कमजोर करने के लिए पार्षदों को अपने तरीके से समझाया जा रहा है। यहां विकास के नाम पर कांग्रेस का महापौर बनाने का दांव खेला जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *