ग्रामीण स्वच्छता जागरूकता अभियान का दिखने लगा असर है
नारायणपुर
नारायणपुर ज़िले के नगरीय इलाक़ों के साथ-साथ ग्रामीण इलाक़ों में भी ज़िला पंचायत द्वारा चलाया गया स्वच्छता जागरूकता अभियान रंग लाने लगा है। इसका असर गाँव में दिखना शुरू हो गया है। स्थानीय ग्रामीण लोग भी स्वच्छता के प्रति जागरूक होने लगे है। ज़िले के ग्रामीण इलाक़ों में ग्रामीण स्वच्छता जागरूकता अभियान ज़ोर-शोर से चलाया गया है और लोगों को साफ-सफाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिसका परिणाम नक्सल प्रभावित ज़िला नारायणपुर के ग्राम किलेपाल तथा ग्राम पंचायत तुरठा के ग्रामीण आदिवासियों की समझ, सूझबूझ और श्रम दान से गांव साफ-सुथरा नजर आने लगा है। यह जागरूकता का सफल उदाहरण है न ही यहां कोई सफाईकर्मी है। दर असल सफाई और कचरा मैनेजमेंट आदिवासी समाज के दिनचर्या में शामिल होने लगा है ।
गांव में न तो कहीं कचरे का ढेर नजर आता है और न बदबूदार नालियां बहती हैं। प्रायः घर मिट्टी के हैं, और साफ-सुथरे है। छत खपरैल की होने के बावजूद बेहतर रख-रखाव की मिसाल पेश करती नजर आ रही है। गांव की आबादी ढाई सौ के करीब होगी। सड़कें एक दम साफ, कहीं कोई पॉलीथीन या कचरा नजर नहीं आता हैं और नही कोई नाली। हर घर के आगे सोख्ता गड्ढ़ा बना है। घर का पानी मिट्टी के गड्ढे में जमा होता है। यह वाटर हार्वेस्टिंग का काम भी करता है। यानी पानी का अधिकांश हिस्सा धरती सोख लेती है। जब यह गड्ढा भरने लगता है तो घर के लोग पानी निकाल कर दूर फेंक आते हैं।
गांव के लोग साफ-सफाई और स्वच्छता के प्रति जागरूक है। सभी ग्रामीण मिल कर सप्ताह में 1 दिन स्वच्छता अभियान चलाते हैं। ग्रामीण अपने घरों से निकल कर श्रम दान करके गांवों तथा आस पास के सार्वजनिक क्षेत्र, हैंडपंप, स्कूल, शासकीय भवनों से लेकर सड़क तक की सफाई करते है। पॉलीथीन या प्लास्टिक का उपयोग कम करने के लिए गांव के लोग थैला लेकर बाजार जाते हैं। लोगों से पूछने पर बताया कि वे पॉलीथीन में सामान नहीं लाते वे जानते हैं कि पॉलीथीन से पर्यावरण को बहुत नुकसान है ।
गाँवों में समुचित स्वच्छता की सुविधाओं की कमी के कारण कई तरह की घातक बीमारियाँ हो जाती हैं। जिनमें अतिसार, पोलियो और टाइफाइड आदि प्रमुख हैं। अगर गाँवों में समुचित स्वच्छता सुविधाओं की व्यवस्था हो जाए तो ऐसी बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है। अगर हर घर, हर स्कूल और हर आँगनवाड़ी में शौचालय की सुविधा की व्यवस्था हो जाए तो इससे गाँव खुले में शौच की समस्या से मुक्त हो जाएंगे। गाँव वासियों के लिये यह बहुत ही कष्टकर समस्या है, विशेष रूप से महिलाओं के लिये तो यह अत्यन्त ही कष्टकर है।
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ग्रामीण स्वच्छता को प्रोत्साहित करने के कार्य को उच्च प्राथमिकता दी है। इसके लिये सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान प्रारम्भ किया गया है। इसे प्रत्येक जिले को एक इकाई मानते हुए क्रियान्वित किया जाता है। जिससे प्रत्येक जिले के समूचे ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण स्वच्छता उपलब्ध कराने के कार्य को सुनिश्चित किया जा सके। इससे गाँवों में स्वच्छता को लेकर जागरूकता पैदा करने में भी मदद मिल रही है।