बैड लोन पर गुड न्यूज, 7 साल बाद घटा NPA
मुंबई
बैंकों की फाइनैंशल पोजिशन लगातार मजबूत हो रही है। बीते 7 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि बैंकों के बैड लोन यानी एनपीए में कमी आई है। सभी कमर्शल बैंकों का नेट NPA वित्त वर्ष 2019 में घटकर 3.7% रह गया जो वित्त वर्ष 2018 में 6% था। वहीं, सरकारी बैंकों के विलय और नॉन-बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों में बना स्ट्रेस कम होने से सिस्टम में लोन फ्लो बढ़ेगा। इस बात का जिक्र रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में किया गया है। हालांकि इसके साथ यह भी कहा गया है कि घरेलू मांग में सुस्ती और कंपनियों की तरफ से अपनी बैलेंस शीट पर कर्ज का बोझ कम करने की कवायद तेज रिकवरी की राह में रोड़ा बन रही हैं।
रिपोर्ट ऑन ट्रेंड ऐंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया के मुताबिक, 'पब्लिक सेक्टर बैंकों के मर्जर के सरकार के फैसले से इंडियन बैंकिंग सेक्टर का हुलिया बदल सकता है। लोन की क्वॉलिटी में सुधार होने, कैपिटल बेस में मजबूती आने और दोबारा प्रॉफिटेबल होने से बैंकिंग सेक्टर में धीरे-धीरे टर्नअराउंड हो रहा है।' RBI की रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब लेंडर्स लोन बांटने में ज्यादा सावधानी बरतने लगे हैं और डिफॉल्ट के डर से NBFC के लिए लोन बांटने के मौके घटे हैं।
डिमांड कमजोर होने और फाइनैंशल इंस्टीट्यूशंस की हिचकिचाहट के चलते इकनॉमिक ग्रोथ छह साल के निचले स्तर पर आ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 'मैक्रोइकनॉमिक सिचुएशन में हो रहे बदलाव के बीच, खासतौर पर डोमेस्टिक इकनॉमिक ऐक्टिविटी की रफ्तार में आई कमी चुनौतीपूर्ण माहौल बना रही है, क्योंकि लोन बांटने में बैंकों के ज्यादा सावधानी बरतने से उस समय लोन की मांग में भारी कमी आई है, जब कंपनियां अपनी बैलेंसशीट से कर्ज का बोझ घटाने में जुटी हैं।'
पब्लिक सेक्टर बैंकों का बैड लोन बढ़ने के चलते पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने उनमें दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की पूंजी डाली है ताकि वे अपनी बैलेंसशीट पर लॉस दिखाते हुए फिर लोन बांटना शुरू करें। हालांकि बहुत से बैंकों ने लोन बांटने को लेकर सावधानी बढ़ा दी है। वे प्रॉजेक्ट्स के लिए लोन बांटने में हिचकिचा रहे हैं और उन्होंने रिटेल क्लाइंट्स को ज्यादा होम लोन और कार लोन बांटना शुरू कर दिया है। बैड लोन को बही-खाते में दर्ज करने का प्रोसेस पूरा होने के करीब होने से पब्लिक बैंकों का ग्रॉस NPA सितंबर के अंत में 9.1 पर्सेंट पर पहुंच गया था, जो FY18 में 11.2 पर्सेंट था।
सभी कमर्शल बैंकों का नेट NPA वित्त वर्ष 2019 में घटकर 3.7 पर्सेंट रह गया जो वित्त वर्ष 2018 में 6 पर्सेंट था। RBI अपनी रिपोर्ट ट्रेंड ऐंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग 2018-19 में लिखता है, 'सभी बैंकों का ग्रॉस एनपीए रेश्यो लगातार सात साल बढ़ने के बाद वित्त वर्ष 2019 में गिरा क्योंकि बैड लोन का रिकग्निशन पूरा होने के करीब पहुंच गया।' रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों के लोन की क्वॉलिटी में सुधार को पब्लिक सेक्टर बैंकों से बढ़ावा मिला है जिनके ग्रॉस NPA (GNPA) और नेट NPA रेश्यो में गिरावट आई है।