ओवैसी ने अमित शाह पर लगाया देश को गुमराह करने का आरोप
नई दिल्ली
एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को कहा कि देश में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लागू करने की दिशा में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पहला कदम है।
ओवैसी ने कहा, "वे लोग नागरिकता अधिनियम, 1955 के मुताबिक एनपीआर करने जा रहे हैं, तो क्या यह एनआरसी से जुड़ा हुआ नहीं है? केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह देश को गुमराह क्यों कर रहे हैं? उन्होंने मेरा नाम संसद में लिया और कहा ओवैसी जी एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जाएगा। अमित शाह साहब, जिस वक्त तक सूरज पूर्व दिशा से उगता रहेगा, हम सच बोलते रहेंगे। एनआरसी के लिए पहला कदम है एनपीआर। जब अप्रैल, 2020 में एनपीआर पूरा हो जाएगा, अधिकारी डॉक्यूमेंट्स के लिए पूछेंगे… फिर आखिरी लिस्ट एनआरसी में आएगा।"
समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा था कि एनपीआर का एनआरसी से कोई लेनादेना नहीं है। ओवैसी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा था, "इस मुद्दे पर ओवैसी जी के रुख से मैं बिल्कुल भी हैरान नहीं हूं। अगर हम कहते हैं कि सूरज पूर्व दिशा से उगता है, तो ओवैसी साहब कहेंगे कि यह पश्चिम से उगता है। लेकिन मैं ओवैसी जी को भी आश्वस्त करना चाहता हूं कि एनपीआर पूरी तरह से एनआरसी से अलग है और ये दोनों आपस में नहीं जुड़े हैं।"
अंतर को समझाया : गृहमंत्री ने कहा कि एनपीआर और एनआरसी के बीच मूलभूत अंतर है। एनपीआर जनसंख्या का रजिस्टर है। इसके आधार पर अलग-अलग सरकारी योजनाएं बनती हैं। लेकिन, एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता पंजी) में हर व्यक्ति से दस्तावेज मांगा जाता है कि आप किस आधार पर भारतके नागरिक हैं। एनपीआर में कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। अगर कोई जानकारी मौजूद नहीं है तो कोई बात नहीं। हां, इसमें आधार कार्ड की जानकारी देने का प्रावधान है। किसी के पास आधार है तो नंबर देने में हर्ज क्या है। एनपीआर का कोई डेटा एनआरसी के प्रयोग में आ ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि अगर किसी का नाम एनपीआर से गायब है, तो भी उसकी नागरिकता को खतरा नहीं होगा।