November 23, 2024

हेमंत सोरेन के सिर सजा झारखंड का ताज, JMM-कांग्रेस गठबंधन को मिलीं 47 सीटें

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नई दिल्ली 

 झारखंड में शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को पटखनी देते हुए दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ कर लिया तो रघुवर दास का लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का सपना करारी शिकस्त के साथ टूट गया. राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाले गठबंधन ने पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है.

भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ताबड़तोड़ साहसिक फैसले और मोदी की छवि के दम पर झारखंड में लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने का सपना संजोया था, लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी की लाख कोशिश के बावजूद इस बार जीत उनके खाते में नहीं गई. 81 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में सबसे अंतिम परिणाम जमशेदपुर ईस्ट से आया, जिसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव हार गए. 80 सीटों के परिणाम पहले आ गए, लेकिन इस हाई प्रोफाइल सीट पर चुनाव परिणाम आने में वक्त लगा. रघुवर दास को 15833 मतों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा.

37 से 25 सीट पर सिमटी बीजेपी
झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को महज 25 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. पिछली बार 2014 में हुए बीजेपी ने 72 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 37 सीटें पर जीत हासिल की थी.

अकेले झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को 30 सीटों पर जीत मिली और राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, हालांकि बीजेपी की तरह जेएमएम भी एकल पार्टी के रूप में बहुमत हासिल करने का सपना पूरा नहीं कर सकी. जेएमएम की सहयोगी कांग्रेस पार्टी के खाते में 16 और राष्ट्रीय जनता दल के खाते में 1 सीट आई.

राज्य की इन 3 बड़ी पार्टियों के अलावा बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ने वाली ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) को 2 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. जबकि 2014 में आजसू ने 8 विधानसभा सीटों पर लड़ते हुए 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. सीपीआईएम, राष्ट्रीय जनता दल और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 1-1 सीटों पर संतोष करना पड़ा. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) को महज 3 सीटों पर जीत मिली है.
 
70 हजार मतों से जीतने वाले CM इस बार हार गए
रघुवर दास की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन कर मैदान पर भारतीय जनता पार्टी को चुनौती दी और न सिर्फ चुनौती दी बल्कि जोरदार जीत भी अपने खाते में कर ली. हेमंत सोरेन की जीत ऐसी कि मुख्यमंत्री रघुवर दास भी खुद अपना चुनाव ही हार गए. यहां तक कि करीब 5 मंत्रियों को भी चुनाव में हार मिली है.

मुख्यमंत्री रघुवर दास जमशेदपुर ईस्ट से बागी सरयू राय के हाथों चुनाव हार गए. रघुवर दास के लिए यह सीट सुरक्षित सीट की तरह थी, क्योंकि वह यहां से 5 बार चुनाव जीत चुके थे. और तो और पिछले चुनाव में उन्होंने 70,157 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी जो उस चुनाव में सबसे बड़ी हार जीत थी. वह इस सीट पर 1995 से ही जीतते आए थे.

चुनाव में सबसे छोटी जीत
जबकि राज्य के अगले मुख्यमंत्री बनने जा रहे हेमंत सोरेन अपने दोनों (दुमका और बरहेट) सीटों से चुनाव जीत गए हैं. दुमका से हेमंत ने बीजेपी की डॉक्टर लुईस मरांडी को 13,188 मतों के अंतर से हराया तो बरहेट से हेमंत ने 25,740 मतों के अंतर से जीत हासिल की. लुईस रघुवर सरकार में मंत्री रही हैं. इस विधानसभा चुनाव की सबसे छोटी जीत रही सिमडेगा विधानसभा सीट से, जहां पर कांग्रेस के भूषण बारा ने कांटेदार मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी के श्रद्धानंद बेसरा को महज 285 मतों के अंतर से हरा दिया. जबकि पिछली बार सबसे छोटी हार तोरपा सीट से जेएमएम के उम्मीदवार सुदीप गुरिया को बीजेपी के कोचे मुंडा के हाथों मिली. यहां पर हार-जीत के बीच महज 43 मतों का अंतर रहा था.

2 जीत का अंतर 60 हजार के पार
राज्य विधानसभा चुनाव में 2 सीटों पर हार-जीत का अंतर 60 हजार से ज्यादा मतों का है. इस चुनाव में पाकुड़ विधानसभा सीट से सबसे बड़ी जीत हासिल हुई है. पाकुड़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी आलमगीर आलम ने बीजेपी के वेणी प्रसाद गुप्ता को 65,108 मतों के अंतर से हराया तो बहारागोरा विधानसभा सीट से दूसरी सबसे बड़ी जीत मिली. झारखंड मुक्ति मोर्चा के समीर कुमार मोहंती ने बीजेपी के ही कुनाल शादांगी को 60,565 मतों के अंतर से हराया.

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