दूर प्रदेशों के लोक कलाकार आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल होने छत्तीसगढ़ के लिए हुए रवाना
*लद्दाख का दल विवाह नृत्य और निकोबारी दल पूर्वजों के*
*सम्मान वाला नृत्य करेंगे प्रस्तुत*
रायपुर 23 दिसम्बर 2019/ रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आगामी शुक्रवार 27 दिसंबर से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में शामिल होने वाले दलों के अपने अपने स्थानों से प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए रायपुर रवाना होने की जानकारियां प्राप्त होने लगी है। अरुणाचल प्रदेश जैसे दूरदराज के कलाकार रविवार को रायपुर के लिए रवाना हो चुके हैं और उत्तराखंड के कलाकार आज रवाना होने वाले हैं। प्रतिभागियों में जबरदस्त उत्साह है। देश के 25 राज्यों के आदिवासी नृत्यदल इस समारोह में भाग ले रहे हैं। इनमे कुछ स्थानों के आदिवासी दल पहली बार छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। अंडमान के निकोबारी और लद्दाख के आदिवासी समूह इस महोत्सव में भाग ले रहे हैं। इनमें लद्दाख का नृत्यदल एक विवाह नृत्य प्रस्तुत करेगा वहीं निकोबारी के कलाकार अपने पूर्वजों के सम्मान के किये जाने वाला नृत्य प्रस्तुत करेंगे।
लद्दाखी विवाह नृत्य
लद्दाख देश का एक केंद्र शासित प्रदेश है जिसे तत्तकालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित कर 31 अक्टूबर 2019 को गठित किया गया था। लद्दाख की मुख्य जनजाति बोट या बोटो के नाम से जानी जाती है जिनकी जनसंख्या लगभग दो लाख है। ट्राइबल्फेस्ट 2019 में लद्दाख से आये बोटो नृत्यदल द्वारा अपने विवाह के अवसर पर किये जाने वाले नृत्य की प्रस्तुति दी जा रही है। लद्दाख वासियों का वैवाहिक समारोह काफी सरल होता है। वधु चयन के लिए वर पक्ष के माध्यम से बात चलाई जाती है तथा उनकी सहमति के पश्चात वर पक्ष के लोग वधु के घर स्थानीय पारंपरिक पेय , छांग और स्कार्फ तथा अंगूठी लेकर जाते हैं जहां विवाह पक्का होने की रस्म की जाती है। विवाह के दिन एक गायक के नेतृत्व में उसके गायन के साथ सभी लोग चलते हैं। इनमे 7 से 11 तक की संख्या में प्राचीन पारंपरिक लदाखी पोशाक में न्याओपा भी रहते हैं।इनकी उपस्थित में विवाह को वैधानिक मान्यता प्राप्त होती है जिसमे न्याओपा साक्षी माने जाते हैं। वे गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। न्याओपा नृत्य अन्य लद्दाखी नृत्यों की तुलना मे तेज गति का नृत्य है जो तेज संगीत की धुन पर किया जाता है। नृत्य में लामा भी उपस्थित रहते हैं जिनकी विशेष भूमिका रहती है।
अंडमान और निकोबार निकोबारी नृत्य
बंगाल की खाड़ी स्थित अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के निकोबार द्वीप में निवास करने वाले लोग निकोबारी के नाम से जाने जाते हैं। निकोबार द्वीपसमूह समूह में 19 द्वीप हैं जिनमें से 12 आबाद हैं। इन द्वीपों में कार निकोबार सबसे बड़ा द्वीप है। निकोबारी एक आदिम जनजाति है जिनकी कुल जनसंख्या 22100 है।सुदूर समुद्र में निवासरत इन द्वीपवासियों की आजीविका के मुख्य साधनों में नारियल, पेन्डानस, सुपारी, आम, केला तथा कुछ अन्य फलों की बागवानी और मछली सम्मिलित हैं। निकोबारी समुदाय में किया जाने वाला नृत्य सरल किन्तु आकर्षक है। वे ओसुआरी उत्सव के अवसर पर मुख्यतः इस नृत्य को करते हैं जो परिवार के मृतक मुखिया को समर्पित रहता है। नृत्य चन्द्रमा के प्रकाश ताड़ वृक्षों के नीचे रात भर चलता है।यह पहली बार है कि निकोबार द्वीपसमूह का कोई नृत्य छत्तीसगढ़ में प्रस्तुत किया जा रहा है।