धन की सुरक्षा धर्म से ही हो सकती है – लाटा महाराज
रायपुर
धन चाहे कितना भी कमाओ धन की सुरक्षा धर्म से ही हो सकती है। जिस धन की सुरक्षा धर्म करता है वहीं धन पास में रहता है। धन कमाना भी है तो धर्म से ही कमाना चाहिये क्योंकि अनैतिक तरीके से कमाया गया धन कभी टिकता नही है। पिता ने कमाया तो पुत्र उसे खत्म कर देगा और पोता उसे पानी में बहा देगा। धर्म से ही धन सुरक्षित रहता है। देवेन्द्र नगर सेक्टर – 5 गरबा मैदान में चल रही राम कथा में भगवान श्री राम के वन प्रसंग पर संतश्री शंभू शरण लाटा महाराज ने श्रद्धालुओं को यह बातें बताई।
उन्होंने कहा कि शराब से लज्जा नष्ट हो जाती है और लज्जा नष्ट होने से फिर उसके पास कुछ बचता नही है। जिसे नीति नहीं आती वह राज्य नहीं कर सकता। जिसके पास लज्जा है नीति है वही जीव समझ सकता है जिसके पास ज्ञान है ज्ञान से वह अपनी अज्ञानता को नष्ट कर सकता है लेकिन ज्ञान आने पर अभिमान नहीं आना चाहिये क्योंकि अभिमान किसी का भी नहीं टिकता अभिमान हमेशा विनाश को ही जन्म देता है वह किसी का भला नहीं कर सकता।
लाटा महाराज ने मारीच लंकेश प्रसंग आने पर श्रद्धालुओं को बताया कि मरमी से स्त्री से शास्त्री से भगवान से धनी से वैद्य से मानस से कभी बैर नहीं करना चाहिये। इनसे बैर करने या विरोध करने पर नुकसान ही होना है। मारीच ने जानते हुए भी भगवान से इसलिये बैर लिया क्योंकि वह उनके हाथों मृत्यु को प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करना चाहता था क्योंकि रावण के हाथों मारे जाने से उसे मोक्ष की प्राप्ती नहीं होती। वास्तव में मारीच द्वारा लिया गया यह निर्णय आत्मघाती था और ऐसा निर्णय भय और लोभ में ही लिया जाता है। लाटा महाराज ने कहा कि आज कल लोग कहते हैं कि उन्हें रात को नींद नहीं आती चिंता करने से नींउ भाग जाती है और शांति रहने से नींद आ जाती है। रावण के द्वारा सीता का अपहरण किए जाने प्रसंग पर उन्होंने कहा कि भगवान राम संसारिक जीव को यही संदेश देते हैं कि चिंता को बाहर रखिए ओर मन में चिंतन कीजिए। चिंतन करने से समस्या का समाधान प्राप्त हो जाता है चिंता करने से समस्या बढ़ती चली जाती है।
उन्होंने कहा कि आज परिवार जो बिखर रहे हैं उसका मुख्य कारण यह है कि परिवार में शिकायतें हो रही हैं और सहनशीला चली गई है। परिवार का प्रत्येक सदस्य केवल एक दूसरे के खिलाफ शिकायत में ही लगा हुआ है यदि किसी ने कुछ कह भी दिया तो सहन करना सीख लो सहने करने से परिवार को बिखरने से बचाया जा सकता है। केवल बड़ा बनने से कुछ होने वाला नहीं है बड़े के साथ बड़प्पन भी होने चाहिये। बड़ा कभी छोटा हो नहीं सकता और हमेशा आर्शिवाद व स्नेह से वंचित रहता है जो सुख छोटा बनकर जीने में है वह बड़ा बनकर जीने में नहीं। इतनी ऊंचाई भी किस काम की जो आपको अपनो से दूर करे।
लाटा महाराज ने कहा कि आज कल लोग सेवा दिखावे के लिये नाम के लिये करते हैं। सेवा वे बताकर करते हैं ताकि संसार के लोग जाने सके कि उन्होंने यह सेवा की है वे सेवा प्रचार चाहते हैं। लेकिन वास्तव में सेवा वही है जो बिना बताए की जाती हो किसी को खबर ही न चले सेवा सभी को प्राप्त नहीं होती। जो सेवा बताकर की जाती है वह संसारिक होती है और जो बिना बताए की जाती है वह भगवान के लिये होती है।