November 22, 2024

नागरिकता बिल को गलत साबित करो, ले लेंगे वापस: शाह

0

नई दिल्ली
होम मिनिस्टर अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है। उन्होंने विधेयक पेश करते हुए विपक्ष के ऐतराजों का जवाब देते हुए कहा कि यदि आप लोग इसे गलत साबित कर देंगे तो हम बिल वापस ले लेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हम भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर चिंतित हैं, उसी तरह पड़ोसी मुल्कों से आने वाले माइनॉरिटी समुदाय के लोगों के लिए भी हम प्रतिबद्ध हैं।
शाह ने कहा, 'भारत के अल्पसंख्यकों की हम चिंता करते हैं तो क्या बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के पीड़ित अल्पसंख्यकों की चिंता नहीं होनी चाहिए? हम जो बिल लाए हैं, वह हमारे घोषणा पत्र के मुताबिक है।'अमित शाह ने कहा कि लाखों करोड़ों लोग वहां से धकेल दिए गए। कोई भी व्यक्ति अपना देश यहां तक कि गांव भी यूं ही नहीं छोड़ता। कितने अपमानित हुए होंगे, तब जाकर वे यहां आए। इतने सालों से रहने वाले लोगों को यहां न शिक्षा, न रोजगार, न नागरिकता और न ही अन्य कोई सुविधा है। इस बिल से लाखों लोगों को नारकीय यातना से मुक्त मिल जाएगी।

अमित शाह ने कहा कि यह बिल किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करता है और धर्म के आधार पर उत्पीड़न झेलने वाले लोगों को शरण देता है। इसके कुछ प्रावधानों पर विपक्ष के ऐतराजों को लेकर अमित शाह ने कहा कि धर्म और पंथ के आधार पर किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए। मगर किसी भी सरकार का यह तो कर्तव्य है कि वह देश की सीमाओं की रक्षा करे। क्या यह देश सभी के लिए खुला छोड़ा जा सकता है। ऐसा कौन सा देश है, जिसने बाहरी लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून नहीं बनाए।

'शरणार्थियों में से ही हमें मिले मनमोहन और आडवाणी'
गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकता को लेकर इस तरह के कानून पहले भी बने हैं। उन्होंने कहा कि 1947 में लाखों लोगों ने भारत की शरण ली थी और हमने उन्हें नागरिकता देते हुए तमाम अधिकार दिए। ऐसे में ही लोगों में से मनमोहन सिंह और लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोग भी हुए, जो प्रधानमंत्री से लेकर उपप्रधानमंत्री तक बने। इसके बाद 1971 में भी ऐसे ही प्रावधान लागू किए थे, फिर अब इस तरह के ही बिल का विरोध क्यों किया जा रहा है। 1971 में जब इंदिरा गांधी ने दखल दिया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। उस दौरान हमने लाखों लोगों को जगह दी। युगांडा, श्रीलंका से आए लोगों को भी हमने शरण दी। फिर अब इस पर क्या आपत्ति है।

शाह ने पूर्वोत्तर राज्यों की चिंताओं को किया दूर
इस विधेयक को लेकर असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों की चिंताओं को दूर करते हुए अमित शाह ने कहा कि हम असम, अरुणाचल और त्रिपुरा जैसे राज्यों में बंगाल ईस्ट फ्रंटियर कानून लागू रहेगा। इसके अलावा नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में इनर लाइन परमिट लागू रहेगा। उन्होंने कहा कि अब तक मणिपुर में इनर लाइन परमिट नहीं था, लेकिन अब लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह से हम पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों की चिंताओं को दूर करना चाहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *