60 मिनट में कर्ज की पेशकश कर 360 फीसदी तक ब्याज वसूल रही कंपनियां
नई दिल्ली
आप कितनी भी बेहतर वित्तीय योजना बना लें लेकिन कर्ज लेने की जरूरत कभी न कभी आपको पड़ ही जाती है। बैंक और गैर-वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) कर्ज के लिए काफी पड़ताल और कवायद के बाद कर्ज देती हैं। इसे अवसर के रूप में देखकर ऑनलाइन कर्ज देने वाली कंपनियां (फिनेटक) सिर्फ 60 मिनट में कर्ज की पेशकश कर 360 फीसदी तक ब्याज वसूल रही हैं। इससे कर्ज मिलना तो आसान हो गया है, लेकिन कर्ज की गिरफ्त में फंसने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। वित्तीय विशषज्ञों का कहना है इससे कंपनियों को तो फायदा हो रहा है लेकिन आम लोग कर्ज के जाल में फंसते जा रहे हैं। आसान सा दिखने वाला यह कर्ज मुसीबत बनता जा रहा है।
बैंक या एनबीएफसी आपको कर्ज देती हैं तो उनका ब्याज फीसदी के रूप में होता है। लेकिन फिनटेक हर कर्ज पर एक तय राशि ब्याज के रूप में लेती हैं जो ज्यादा महंगा होता है। उदाहरण के लिए एक कंपनी 15 हजार रुपये कर्ज 15 दिन के लिए देती है और 16वें दिन 16,125 रुपये ब्याज समेत वसूलती है। फीसदी के रूप में देखें तो यह 0.5 फीसदी प्रति दिन और 180 फीसदी सालाना हुआ जो बेहद ऊंचा है। इस तरह का कंपनियां जो ब्याज वसूलती हैं उसका दायरा 40 से 360 फीसदी तक है जिसमें वह कई तरह के शुल्क को भी शामिल करती हैं।
भारत में क्रेडिटबाजारडॉटकॉम, फोनपरलोनडॉटइन और क्विकरक्रेडिटडॉटइन जैसी 15 से 20 कंपनियां बेहद छोटी अवधि के लिए इस तरह का कर्ज देती हैं जो 15 दिन से एक माह के लिए होता है। वेतन मिलते ही ब्याज समेत पूरी राशि वसूल लेती हैं। इसमें ईएमआई का विकल्प नहीं होता है। यह 500 रुपये से एक लाख रुपये तक कर्ज देती हैं। कर्ज के लिए सबसे पहली योग्यता है कि उम्र कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए। दस्तावेज के नाम पर पहचान पत्र, पैन कार्ड, आवास का पता और तीन माह के वेतन का विवरण मांगती हैं। आसान होने और किसी बड़ी मुश्किल में फंसे होने की वजह से कई बार लोग इनके आकर्षण में फंस जाते हैं जो बाद में काफी महंगा साबित होता है। इस तरह की कंपनियों से कर्ज ले चुके कई ग्राहक बेहद परेशान हो चुके हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि कर्ज चुकाने में देरी पर फोन पर कई तरह की धमकियां मिलती हैं और घर पर बाउंसर भेजकर जबरन कर्ज वसूली तक की बात कही जाती है।
इन दिनों बैंक या फिनटेक कंपनियों की ओर से लगातार फोन, मैसेज या ई-मेल से सस्ते कर्ज की पेशकश की जा रही है। इसके साथ की पहले से लिए लोन को रीफाइनेंस यानी फिर से पुनर्गठन की सुविधा भी उपलब्ध कराने की बात कही जाती है। कंपनियां इसके तहत एक कर्ज के होते हुए दूसरा कर्ज लेकर पहले को पुनर्गठन की सुविधा देती हंै। बैंक और फिनटेक कंपनियों का इसके पीछे का उद्देश्य अपना कारोबार बढ़ाना है। वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि यह एक तरह का जाल है। इसमें युवा वर्ग तेजी से फंस रहे हैं। वह एक के बाद दूसरा कर्ज ले रहे हैं और कर्ज के जाल से निकल नहीं पा रहे हैं।
भारतीय मिलेनियल्स (सहस्राब्दी पीढ़ी के लोग) कर्ज लेने में डर नहीं रहे हैं। उनको यह विश्वास है कि अगर वह कर्ज नहीं देंगे तो उनके माता-पिता इसका भुगतान करेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार यह खतरे की घंटी है। युवा आबादी बचत पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है और उसके खर्च बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में अगर जिम्मदारियों का बोझ बढ़ेगा तो वित्तीय स्थिति और खराब होगी। वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि अगर आप ऊंचे ब्याज पर लिए कर्ज को चुकाने के लिए कोई दूसरा कर्ज कम ब्याज पर लेते हैं तो यह बुद्धिमानी भरा फैसला होगा। लेकिन, अगर आप दूसरा कर्ज इसलिए ले रहे हैं कि आपके पास पहले लिए हुए कर्ज चुकाने का पैसा नहीं है तो इसका मतलब है कि आपकी वित्तीय स्थिति बेहद खराब है और आप कर्ज के जाल में फंसते चले जा रहे हैं। यह समझना बहुत जरूरी है कि बैंकों और फिनटेक कंपनियों की ओर से आसान कर्ज मिल तो रहा है लेकिन उसे चुकाना भी है। आाप सिर्फ कर्ज लेकर कर्ज को चुका नहीं सकते। आपकी कमाई भी उसके अनुसार होनी चाहिए।
एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में 23 फीसदी वेतनभोगी मिलेनियल्स ने व्यक्तिगत ईएमआई को पुनगर्ठित करने के लिए छोटी अवधि का कर्ज फिनटेक कंपनियों और बैंकों से लिया। वहीं 14 फीसदी ने अपने कर्ज का भुगतान करने के लिए कर्ज लिया। युवाओं द्वारा कर्ज लेने की औसत अवधि 60 दिन रही। रिपोर्ट के मुताबिक 44 फीसदी पर्सनल लोन 26 से 35 साल के उम्र के लोगों ने लिया। वहीं 13 फीसदी की उम्र 25 साल या उससे कम थी।
कर्ज का जाल एक तरह की ऐसी स्थिति होती है, जब किसी व्यक्ति के लिए अपने कर्ज को चुकाना बहुत मुश्किल हो जाता है। यानी किसी आदमी की ऐसी वित्तीय स्थिति जब उसके लिए अपने कर्ज की मूल रकम, यानी मूल धन को चुकाना लगभग असंभव हो जाता है और वह सिर्फ कर्ज का ब्याज ही चुका सकता है। ऐसे में फिनटेक या बैंक से कर्ज लेने से पहले अपनी आय और चुकाने की क्षमता को जरूर आंकें। इससे कर्ज चुकाना आसान होगा और आप कर्ज के दलदल में फंसने से बच जाएंगे।
अमेरिका में इस तरह के कर्ज काफी लोकप्रिय हैं। भारत में इस तरह कर्ज देने वाली कंपनियों पर ब्याज को लेकर कोई अंकुश नहीं है। चीन में इसके लिए सख्त कानून है। वहां 36 फीसदी से अधिक ऊंचे ब्याज पर पांच साल जेल की सजा है।