सारकेगुड़ा फर्जी मुठभेड़-रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे थाने पर हुआ नहीं
जगदलपुर
सारकेगुड़ा फर्जी मुठभेड़ को लेकर सामाजिक कार्यकतार्ओं के नेतृत्व में सारकेगुड़ा के सैंकड़ों ग्रामीण आज एफआईआर दर्ज कराने बासागुड़ा थाने पहुंचे। बासागुड़ा एसडीओपी विनोद मिंज द्वारा उच्चाधिकारियों से चर्चा के बाद एफआईआर दर्ज करने की बात कही जिससे कुछ देर के लिए तनाव की स्थिति बन गई लेकिन रिपोर्ट नहीं जानकारी के अनुसार 29 जून 2012 को हुई सारकेगुड़ा घटना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी, हिमांशु कुमार, डिग्री चौहान के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीण आज एफआईआर दर्ज करवाने बासागुड़ा थाने पहुंचे। हिमांशु कुमार चरखा चलाते रघुपति राघव राज राम गाते हुए धरने पर बैठ गए। सामाजिक कार्यकतार्ओं ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार आदिवासी पीड़ित मामले में पहले एफआईआर दर्ज होती है उसके बाद मामले की जांच होती है।
क्या था मामला–
28 जून 2012 को बीजापुर और बासागुड़ा से निकले कोबरा बटालियन व सीआरपीएफ जवानों ने सारकेगुड़ा गांव में ग्रामीणों पर गोलिया चलाई, जिसमें 17 ग्रामीण मारे गए। मृतकों में आठ स्कूली बच्चे भी शामिल थे। ग्रामीण फर्जी मुठभेड़ की जांच की मांग लेकर मानवाधिकार आयोग तक पहुंचे। तब विपक्ष में रही कांग्रेस ने मुद्दे को आगे बढ़ाया। भाजपा सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन किया। आयोग की रिपोर्ट में मुठभेड़ को फर्जी बताया गया। रिपोर्ट विधानसभा में भी पेश की जा चुकी है।