रेल मंत्री ने बताया कहां जा रहा पैसा, 10 साल में सबसे कम आय
नई दिल्ली
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रेलवे की कमाई 10 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। रेलवे का परिचालन अनुपात (ऑपरेटिंग रेशियो) वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जिसका मतलब यह है कि रेलवे को 100 रुपये कमाने के लिए 98.44 रुपये खर्च करने पड़े हैं। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इसके लिए सातवें वेतन आयोग की वजह से सैलरी और पेंशन पर बढ़े खर्च और सामाजिक दायित्वों पर लग रहे पैसों को जिम्मेदार बताया है।
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को लोकसभा में दिए लिखित जवाब में कहा कि सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद से रेलवे कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर 22 हजार करोड़ रुपये अधिक खर्च कर रहा है, जिससे वित्तीय स्वास्थ्य पर असर पड़ा है। गोयल ने यह भी कहा कि नई लाइनों के निर्माण और सामाजिक दायित्वों के तहत अलाभकारी इलाकों में भी ट्रेन चलाने में भी इसके फंड का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है।
प्रश्नकाल में रेलमंत्री ने कहा, '7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद से रेलवे कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन पर 22 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हो रहा है। ऑपरेटिंग लॉस में इसका योगदान है।' मंत्री ने कहा कि रेलवे साफ-सफाई, उपनगरीय ट्रेन चालने और गेज बदलाव पर भी काफी खर्च कर रहा है। उन्होंने कहा, 'इन सबका खर्च है और इसका रेलवे पर असर पड़ता है।'
गोयल ने कहा, 'जब हम पूरे पिक्चर को देखते हैं, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना और सामाजिक दायित्व के तहत ट्रेनों को चलाने से ऑपरेटिंग रेशियो एक साल में 15 पर्सेंट नीचे चला जाता है।' रेलमंत्री ने कहा, 'समय आ गया है कि हम सामाजिक दायित्वों पर खर्च और लाभकारी सेक्टर्स के लिए बजट को अलग करने की संभावना तलाशें।'