GST की होगी समीक्षा, रेवेन्यू बढ़ाने के लिए बढ़ सकता है सेस
नई दिल्ली
रेवेन्यू से जुड़ी चिंताएं बढ़ने के बीच गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स काउंसिल इस टैक्स स्ट्रक्चर की व्यापक समीक्षा शुरू करने वाली है। काउंसिल की मीटिंग 18 दिसंबर को होगी। रिव्यू के दायरे में एग्जेम्प्टेड आइटम्स, जीएसटी और कंपनसेशन सेस रेट्स को रखा जाएगा। साथ ही, रेवेन्यू बढ़ाने के उपायों पर भी फोकस होगा। जीएसटी सचिवालय ने इन सभी मुद्दों पर राज्य सरकारों से इनपुट मांगे हैं। इस रिव्यू के तहत इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर और कंप्लायंस के नए उपायों पर भी विचार किया जाएगा।
जीएसटी कमिश्नरों को भेजा लेटर
राज्यों के जीएसटी कमिश्नरों को 27 नवंबर को भेजे गए एक लेटर में कहा गया है, 'आपसे अनुरोध है कि कंप्लायंस के उपायों और रेट्स के बारे में आप अपने इनपुट या प्रस्ताव या सुझाव भेजें, जिनसे रेवेन्यू बढ़ाने में मदद मिले।' ईटी ने यह लेटर देखा है। एक्सपर्ट्स ने कहा कि इसका मतलब यह है कि इफेक्टिव जीएसटी बढ़ सकता है। राज्यों ने पिछले दिनों शिकायत की थी कि रेवेन्यू घटने के बीच केंद्र सरकार उन्हें कंपनेसशन पेमेंट में देर कर रही है। हालांकि, लगातार दो महीनों तक घटने के बाद नवंबर में जीएसटी कलेक्शन पिछले साल के मुकाबले 6 प्रतिशत बढ़कर 1,03,492 करोड़ हो गया। ऐसा फेस्टिव सीजन में बिक्री बढ़ने से हुआ।
'जीएसटी रेट ढांचा सरल बनाने पर विचार'
लेटर में कहा गया है कि जीएसटी कंपनसेशन सेस कलेक्शंस कम रहने का मामला पिछले कुछ महीनों से चिंता का विषय रहा है। इसमें कहा गया कि कंपनसेशन की जरूरत बढ़ी है और कंपनसेशन सेस से इसकी भरपाई हो पाने की संभावना नहीं है। फाइनैंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने ईटी अवॉर्ड्स फॉर कॉरपोरेट एक्सिलेंस में 30 नवंबर को कहा था कि जीएसटी रेट का ढांचा सरल बनाने पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा था, 'जहां तक टैक्सेशन को तर्कसंगत बनाने का संबंध है तो हम सभी राज्यों से इस बारे में बातचीत कर रहे हैं।' सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जरूरी वस्तुओं को अगर जीएसटी से छूट न मिले तो कम से कम उन्हें सबसे निचले रेट के दायरे में रखा जाए। मंत्री ने कहा था, 'हालांकि बाकी के लिए हम ढांचा तर्कसंगत बनाने की कोशिश कर रहे हैं।'
जीएसटी में कुल सात रेट्स
जीएसटी में सात रेट्स हैं, हालांकि अधिकतर वस्तुएं 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के स्लैब में आती हैं। इन दोनों को मिलाकर करीब 15 प्रतिशत का एक ही स्लैब बना देने पर विचार चल रहा है।
सेस में हो सकती है बढ़ोतरी
डेलॉयट के पार्टनर एम एस मणि ने कहा, 'सेस में बढ़ोतरी की जा सकती है, ताकि राज्यों को कंपनसेशन दिया जा सके। एग्जेम्पटेड कैटिगरी में रेट से जुड़े कुछ बदलाव हो सकते हैं।' पिछले सालभर में सरकार ने कंप्लायंस आसान बनाने के कई कदम उठाए हैं और टेक्नॉलजी और डेटा एनालिटिक्स के बेहतर उपयोग के जरिए टैक्स चोरी करने वालों को घेरा है।