बटरेल के आंगनबाड़ी केंद्र हुए कुपोषण मुक्त, मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ता और सहायिका को किया सम्मानित
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत लगातार बच्चों के पोषण की मानिटरिंग कर बटरेल केंद्र क्रमांक 1 और 4 की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने की मिसाल कायम
दुर्ग, प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा चलाये जा रहे मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के जमीनी नतीजे मिलने लगे हैं। जहां अच्छा कार्य हो रहा है उसकी प्रशंसा स्वयं मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही है। बटरेल केंद्र क्रमांक 1 और ४ पूरी तरह कुपोषण मुक्त आंगनबाड़ी केंद्र के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हुए। यहां से तीन बच्चों को सतत मेहनत और मानिटरिंग कर कुपोषण के दायरे से निकाला गया। इसके लिए मुख्यमंत्री ने बटरेल में आयोजित विभिन्न विकास कार्यों के लोकार्पण एवं भूमिपूजन कार्यक्रम में बटरेल क्रमांक 1 की कार्यकर्ता श्रीमती कौशल्या शर्मा एवं सहायिका श्रीमती डोमेश्वरी साहू तथा बटरेल क्रमांक 4 की कार्यकर्ता श्रीमती शैलबाला कौशिक एवं सहायिका श्रीमती दीपिका साहू का सम्मान किया। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री विपिन जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन के अंतर्गत बच्चों को एक्सट्रा सप्लीमेंट दिये जा रहे हैं। कलेक्टर श्री अंकित आनंद के निर्देशानुसार कुपोषित बच्चों को चिकी प्रदान किया जा रहा है। 0 से 3 साल तक के बच्चों को चिन्हांकित कर इन्हें विशेष रूप से भोजन कराया जा रहा है। श्री जैन ने बताया कि 6 माह से 54 माह तक के 10 हजार कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया गया है। इन्हें एक्सट्रा सप्लीमेंट के साथ ही चिकी भी दिया जा रहा है। इसके लिए व्यापक जनभागीदारी के अंतर्गत भी कार्य किया जा रहा है। पाटन परियोजना के अधिकारी श्री सुमीत गंडेचा ने बताया कि कौशल एवं डोमेश्वरी ने सुपोषण अभियान के अंतर्गत बहुत अच्छा काम किया। उन्होंने न केवल कुपोषित बच्चों के पोषण का ध्यान रखा अपितु नियमित गृहभेंट आदि के माध्यम से अभिभावकों से भी मिलती रहीं ताकि घर में भी बच्चों का उचित ख्याल उनके परिजन रख सके। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री जैन ने बताया कि व्हाटसएप के माध्यम से नियमित रूप से अधिकारियों द्वारा सुपोषण अभियान की मानिटरिंग की जा रही है जिससे जमीनी नतीजे बेहतर हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के माध्यम से भी स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है ताकि इस दिशा में भी कार्य कर कुपोषण को पूरी तरह रोका जा सके।