संविधान के 70 साल: युवाओं में बढ़ रहा साइबर कानून सीखने का जज्बा
नई दिल्ली
संविधान दिवस के 70वें साल के जश्न के बीच देश में संवैधानिक विशेषज्ञों की घटती संख्या बड़ी चिंता बनकर उभरी है। विशेषज्ञों के अनुसार, युवा वकील कंपनी कानून, साइबर लॉ जैसे विषयों में विशेषज्ञता को तरजीह दे रहे हैं, क्योंकि इनमें रोजगार,अच्छी आय की ज्यादा संभावना और आकर्षण है।
दिल्ली के डाटा प्राइवेसी और साइबर लॉ विशेषज्ञ विशाल कुमार का कहना है कि समाज में बदलाव के साथ विधिक व्यवस्था में बदलाव भी जरूरी है। कॉरपोरेट सेक्टर के कानूनी क्षेत्र में रोजगार के व्यापक अवसर हैं। कारोबार से जुड़े कानून विवादों-नियमों की ड्रॉफ्टिंग, संधि-समझौते की बारीकियां, कानूनी अनुपालन क्षेत्र में रोजगार कम समय में अच्छी आय की संभावनाओं वाला है। जबकि संवैधानिक कानून के क्षेत्र में लंबे धैर्य और अनुभव के साथ ताजातरीन मामलों में गहन प्रैक्टिस की जरूरत है। दिल्ली के ही पूर्व अधिवक्ता और कानूनी विशेषज्ञ कैंग बलविंदर सिंह के अनुसार, व्यापार-वाणिज्य क्षेत्र में विशेषज्ञ कानूनी विशेषज्ञों के साथ पेशेवर कंपनी की तरह काम करने वाले विधिक संस्थानों की आवश्यकता है। कानूनी जटिलताओं को दूर करना भी बेहद आवश्यक है।
आईएलएस लॉ कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर संजय जैन का कहना है कि कांस्टीट्यूशनल लॉ को लेकर विधि छात्रों की राय है कि इसमें बेहतर भविष्य की ज्यादा संभावना नहीं है। जबकि आर्थिक उदारीकरण के बाद कारोबारी मामले, आईटी और साइबर क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। इनके हाई प्रोफाइल मामलों का मीडिया कवरेज भी इसकी एक वजह रही है। जैन के मुताबिक, संवैधानिक कानूनों के प्रति आकर्षण कायम रखने के लिए पारंपरिक विधि विश्वविद्यालय को पाठ्यक्रम पर ज्यादा ध्यान होगा ताकि यह नए बदलावों को समाहित कर पाए।
योग्य अधिवक्ताओं की कमी
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने चिंता जताई है कि देश में योग्य अधिवक्ताओं की कमी का संकट गहरा रहा है। योग्य वकीलों में भी बहुत से तमाम बार से जुड़ना भी नहीं चाहते। देश में करीब दस लाख अधिवक्ता हैं, लेकिन इनमें 20 फीसदी ही ऐसे हैं, जो कोर्ट में कानूनी मुद्दों पर बहस में सक्षम हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी की फैकल्टी ऑफ लॉ, हैदराबाद के नालसार और आईएलएस लॉ कॉलेज में विधि शिक्षा का स्तर बढ़ाने के प्रयास हुए हैं, लेकिन यह जरूरत से काफी कम है।