आयुष्मान घोटाला: आईबी ने गाजीपुर सीएमओ कार्यालय में खंगाले दस्तावेज, डाटा जब्त
गाजीपुर
गाजीपुर जिला अस्पताल में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान में फर्जीवाड़े का बड़ा मामला सामने आने के बाद सोमवार को इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) की टीम सीएमओ कार्यालय पहुंची। आईबी ने सीएमओ आफिस से फाइलें और डाटा जुटाया। इसके बाद सीएमओ और एक अन्य क्लर्क को गाड़ी में बिठाकर दूसरे कार्यालय ले गए। टीम के पहुंचते ही हड़कंप मच गया। आयुष्मान कार्ड जनरेट व बनाने में हुई धांधली की जांच के दौरान एसीएमओ, आरोग्य मित्र ओमप्रकाश यादव से पूछताछ हुई।
सरकारी अस्पतालों में तैनात आरोग्य मित्रों को लाभार्थियों का गोल्डेन कार्ड बीआईएस पोर्टल पर जेनरेट करने के लिए आईडी व पासवर्ड दिया गया है। गाजीपुर जिला अस्पताल में आयुष्मान मित्र के पद पर तैनात ओमप्रकाश यादव ने अपनी आईडी व पासवर्ड का दुरुपयोग करके प्रदेश के विभिन्न जनपदों समेत उत्तराखंड और कई अन्य प्रांतों के हजारों से ऊपर अपात्रों का आयुष्मान भारत कार्ड बना दिया। इसकी जानकारी मिलते ही रविवार को उसकी आईडी को बंद करने के साथ कार्रवाई का पत्र सीएमओ को भेजा गया। सीएमओ ने पूरे मामले की जांच एसीएमओ डा. आरके सिन्हा को सौंपने के साथ रिपोर्ट देने को कहा गया।
इसी की जांच के लिए पहुंची आईबी की टीम सबसे पहले सीएमओ कार्यालय पहुंची। वहां पर अस्पताल में जारी हुए गोल्डेन कार्ड, आयुष्मान कार्ड और इलाज का ब्यौरा जुटाया। आवेदकों और लाभार्थियों का डाटा हार्ड कापी और पेन ड्राइव में ले गए। इसके बाद जिला अस्पताल पहुंचकर योजना से जुड़े लोगों से बयान लिए। कार्ड में धांधली की जानकारी होते ही आइबी की दो सदस्यीय टीम सीएमओ कार्यालय पहुंची व मुख्य चिकित्साधिकारी से पूछताछ कर फाइल भी अपने साथ लेती गई। इसकी जानकारी होते ही विभाग के अधिकारियों व स्वास्थ्य कर्मियों में खलबली मच गई।
बताया जा रहा है कि कई प्रांतों में फर्जी तरीके बने गोल्डेन कार्ड पर हजारों अपात्रों ने अपना इलाज भी करा लिया है। जब योजना से जुड़े अस्पतालों ने अपने खर्च के भुगतान के लिए शासन के पास पत्र भेजा तो पता चला कि एक लाभार्थी परिवार के कार्ड पर सैकड़ों लोगों को जोड़कर उनका गोल्डेन कार्ड जनरेट कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इन फर्जी आयुष्मान कार्ड के माध्यम से करीब 22 लाख रुपये से ऊपर का इलाज हो चुका है। इसके अलावा एक ही परिवार के 196 लोगों को गोल्डेन कार्ड बना दिया गया। वहीं कई लोगों को अपात्र होते हुए योजना की सूची में शामिल करने का मामला सामने आया है।
एसीएमओ और आईबी की प्राथमिक जांच में हजारों फर्जी कार्ड बनाकर लाखों रुपये आहरण का मामला सामने आया है। जांच पड़ताल में आरोग्य मित्र की आइडी से जनरेट कार्ड व व्हाट्सएप स्क्रीनशाट में पैसे के लेने-देन का भी ब्यौरा मिला है। साथ ही उसके व्हाट्सएप स्क्रीनशाट के प्रिंट आउट में पैसे का लेन-देन मैसेज का जिक्र भी है। इंटनेट आधारित मामला होने के चलते इसकी जांच साइबर सेल से कराने की संस्तुति करने के साथ रिपोर्ट सीएमओ को सौंप दी गई। उधर, शासन के निर्देश पर आरोग्य मित्र को हटाने की कवायद भी विभाग के उच्चाधिकारियों की ओर से शुरू कर दी गई है।
पूरे मामले पर सीएमओ डा. जीसी मौर्या का कहना है कि आयुष्मान मित्र की संलिप्तता से फर्जीवाड़ा हुआ है। अभी तक रुपयों के लेनदेन और एक ही परिवार को 169 गोल्डेन कार्ड बनाने और हजारों फर्जी कार्ड बनाना उजागर हुआ है। एसीएमओ को जांच अधिकारी बनाकर रिपोर्ट मांगी गई थी। रिपोर्ट शासन व जिला प्रशासन के पास भेज दी जाएगी। आरोग्य मित्र को हटाने की कार्रवाई भी तेज कर दी गई है। इसके साथ ही शासन के निर्देश पर विधिक कार्रवाई भी की जाएगी।