सिंचाई घोटाले में अजित को राहत? विपक्ष लाल
मुंबई
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को सिंचाई घोटाले में बड़ी राहत मिली है. अजित पवार के खिलाफ सिंचाई घोटाले के 9 मामलों को बंद कर दिया गया है. एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) सूत्रों के मुताबिक, सिंचाई घोटाले से संबंधित 3000 प्रोजेक्ट्स जांच के घेरे में हैं और इनमें से 9 मामलों को सबूतों के अभाव में बंद कर दिया गया है. अभी तक जिन टेंडर की जांच की गई है, उनमें एसीबी को अजित पवार के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला है.
तकनीकी तौर पर 3000 टेंडर जांच के घेरे में हैं और अजित पवार को क्लीन चीट नहीं मिली है. एसीबी के मुताबिक, सिर्फ 9 टेंडर्स (निविदाओं) के केस में अजित पवार को राहत मिली है और ये केस साक्ष्य के नहीं मिलने के कारण बंद कर दिए गए हैं.
वहीं, अजित पवार को क्लीन चीट मिलते ही कांग्रेस को मोदी सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा-अजित पवार द्वारा महाराष्ट्र के प्रजातंत्र चीरहरण अध्याय की असलियत उजागर. एक नाजायज सरकार द्वारा एंटी करप्शन ब्यूरो को सब मुक़दमे बंद करने का आदेश. खाएंगे और खिलाएंगे भी. क्योंकि ये ईमानदारी के लिए ‘जीरो टॉलरन्स’ वाली सरकार है. मोदी है तो मुमकिन है.
इस बीच एसीबी ने सफाई दी है कि जिन मामलों को बंद किया गया है वो अजित पवार से जुड़े नहीं हैं. महाराष्ट्र एसीबी ने सोमवार को कहा कि उसने 9 मामलों को बंद कर दिया है. ये मामले अजित पवार से जुड़े हुए नहीं हैं.
बता दें कि अजित पवार करोड़ों के सिंचाई घोटाले में आरोपी हैं और बीजेपी खुद इस मुद्दे पर उन्हें कई बार घेर चुकी है. राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद कभी उनको जेल भेजवाने की बात कह चुके हैं. दरअसल, 2010 में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में अजित पवार पहली बार उपमुख्यमंत्री बने, लेकिन दो साल बाद घोटाले के आरोप पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. 2018 में महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो ने अजित पवार को 70 हजार करोड़ के कथित सिंचाई घोटाले में आरोपी ठहराया था.