दिल से रूह तक का सफ़र तय करती गज़ल, मखमली आवाज़ के सितारे शिशिर पारखी का सफ़र नामा
गजलों की दुनिया चमकते शिशिर पारखी ने पहला सोलो गजल कंसर्ट किया था 15 साल की उम्र में
अब तक टी सीरीज, एचएमवी, सारेगामा, टाइम्स म्यूजिक व वीनस ने सैकड़ो की संख्या में जारी किया है गजल एलबम
बात जब गज़ल य मौशिकी की आती है तो जिहन में सिरहन सी दौड़ जाती है ,और गजलें धीरे से जुबान से हो कर दिल में पहुचे बस यही गज़ल गायकों का ख्व़ाब होता है ,और उसको सच साबित किया मखमली आवाज़ के जादूगर कहे तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी ,जी हम बात कर रहे है गजलो को दिल के सफ़र से लेकर रूह तक पहुचने वाले शिशिर पारखी साहब की ,आइये जानते है उनके सफ़र के बारे में,शिशिर पारखी साहब किसी परिचय के मोहताज नहीं, उनका परिचय भी अब उनकी आवाज़ करवाती है ,गजलो में मिठास और सरल भासा का उपयोग ही आज उन्हें बुलंदी के उस मकाम पर ले आई है जहां पर उनकी तारीफों और बेहतरीन गाई हुई गजलो ने बुजुर्गो से लेकर युवाओ को अपना दीवाना बना रक्खा है !
रायपुर । गजलों की दुनिया मे चमकते सितारे शिशिर पारखी आज किसी परिचय के मोहताज नही है । वर्ष 2012 में उन्हें ग्लोबल इंडियन म्यूजिक अकैडमी अवॉर्ड्स (GIMA) के लिए एल्बम “रोमानियत” देश के प्रसिद्ध गजल गायक जगजीत सिंह और गुलजार के एल्बम के साथ, बेस्ट गजल एल्बम में नॉमिनेट हुआ था । 2015 में दोबारा इसी अवॉर्ड्स के लिए उनका नॉमिनेशन उस्ताद जाकिर हुसैन- हरिहरन और श्रेया घोषाल के एल्बम्स के साथ हुआ था और एल्बम का नाम था “सियाहत- ए जर्नी थ्रू इमोशंस” ।
Shishir Parkhie https://g.co/kgs/HrfxR4
शिशिर पारखी जी के साल 2000 से लेकर अब तक टी सीरीज, एचएमवी/सारेगामा, टाइम्स म्यूजिक, विनस इत्यादि के लिए सैकड़ो की संख्या में भजन और गजल के एल्बम्स जारी किए हैं । श्री पारखी जी ने सोलो गजल कंसर्ट्स देशभर में कई जगहों पर और विदेश में बहरीन, नैरोबी, सऊदी अरब, दुबई, कुवैत और इजराइल इत्यादि इन जगहों पर किए हैं ।
आज गजल की दुनिया का चमकता सितारा बन चुके शिशिर पारखी जी का जन्म नागपुर में हुआ लेकिन उनका सारा बचपन बोकारो स्टील सिटी में गुजरा । यहां उन्होंने संत जेवियर्स स्कूल से दसवीं तक की शिक्षा प्राप्त की । उनके पिता शरद पारखी सेल में डिप्टी चीफ आर्किटेक्ट थे । वे एक संगीत प्रेमी होने के साथ-साथ एक अच्छे कंपोजर भी थे । शिशिर की माता श्रीमती प्रतिमा पारखी BA, MFA(Music), संगीत विशारद व उस वक़्त क्षेत्र की प्रख्यात गायिका थीं और आकाशवाणी रांची से गाया करती थी । घर में ही नये नये गीत ग़ज़ल और भजन कंपोज़ होते थे । शहर में कोई भी बड़ा संगीतकार आने उनके घर में एक महफ़िल ज़रूर होती थी । इन सब का प्रभाव गजल गायक शिशिर पर पड़ा और उन्होंने 6 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया । शिशिर ने बाल कलाकार के रूप में आकाशवाणी रांची से अपनी गजल की यात्रा शुरू की व 1979 में इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ चाइल्ड पर आकाशवाणी के नेशनल लेवल के कॉन्सर्ट में गाया । उस दौरान वे कई संगीत प्रतियोगिताओं में विजेता रहे । स्कूल से भी उन्हें बहुत प्रोत्साहन मिला । गायन के साथ साथ 4 साल उन्होंने तबला वादन भी सीखा । शिशिर ने अपना पहला सोलो ग़ज़ल कॉंसर्ट 15 साल की उम्र में बोकारो में ही किया । दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए नागपुर चले गए ।
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नागपुर में हिस्लॉप जूनियर कॉलेज से उन्होंने साइंस और फिर वाईसीसीई से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई की । यहां पहले शिशिर ने नागपुर आकाशवाणी में युवा वाणी से और फिर सुगम संगीत गाने लगे । उन्होंने यहां डॉ नारायणराव मंगरुलकर और श्रीमती रेखा साने जी से शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लिया और संगीत विशारद पूरा किया । इस दौरान उन्होंने कई जिंगल्स भी गायें । यहीं पर उन्होंने भोला घोष से की बोर्ड का प्रशिक्षण भी लिया । साथ ही जनाब क़मर हयात जी से उर्दू का प्रशिक्षण भी लिया । सोलो ग़ज़ल शोज के अलावा शिशिर कई आर्केस्ट्रा और सुगम संगीत ग्रुप्स का भी हिस्सा रहे । इस दौरान दूरदर्शन और लोकल म्यूजिक कंपनी के लिए कई बार संगीतकार और गायक के रूप में उन्होंने काम किया । शिशिर ने केवल 2 साल नौकरी करने के बाद 1997 में सब छोड़कर पूरी तरह संगीत के क्षेत्र में डूब गए और आज उनकी मेहनत, लगन और संगीत के प्रति समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचा दिया है ।
नोट : शिशिर पारिख जी की गजलो के कुछ लिंकों का उपयोग का मकसद उनका परिचय और और आप सभी को बताने के लिए है ! इस में कही पर भी कापी राईट का उलंघन नहीं करने की पूरी कोशिश की गई है ,यदि कही पर उसका उलंघन हुआ है तो जोगी एक्सप्रेस उसके लिए माफ़ी का तलबगार है !