क्यों आज के दौर में टीपू सुल्तान पर वेब सीरीज या फिल्म बनना है मुश्किल?
नई दिल्ली
महाभारत और रामायण के बाद 90 के दशक में टीपू सुल्तान के सीरियल ने जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की थी. 20 नवंबर को जन्मे टीपू सुल्तान को एक्टर फिरोज खान ने जीवंत किया था. इस सीरियल का नाम 'द सॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान' था. ये शो डीडी नेशनल पर 1990 में ऑनएयर हुआ था. ये लेखक भगवान गिडवानी के नॉवल पर आधारित था. इस शो को देखने के बाद ही लोगों ने टीपू सुल्तान के बारे में गहराई से जाना. बाद में इस सीरियल को बंगाली और तमिल में भी डब किया गया था. इस सीरियल की शूटिंग मैसूर में हुई थी. इसके कुल 60 एपिसोड प्रसारित किए गए थे. टीपू सुल्तान ने 18वीं सदी में मैसूर पर राज किया था.
हालांकि शो को लेकर कई लोगों की अलग-अलग राय है. कई लोगों की राय है कि टीपू सुल्तान ने जहां 18वीं शताब्दी में अर्थव्यवस्था को बेहतर करने का काम किया जिसके चलते मैसूर उस दौर में इकोनॉमिकली काफी शक्तिशाली था. इसके अलावा उन्होंने अपने साम्राज्य के लिए काफी काम भी किया. दूसरा पक्ष ये भी है कि टीपू सुल्तान ने कई लोगों के जबरदस्ती धर्मांतरण किए. उन्होंने दूसरे धर्म के लोगों को मरवाया. चर्चों और मंदिरों पर भी उन्होंने हमले कराए. ऐसे में टीपू सुल्तान काफी विवादास्पद शख्सियत रहे हैं.
सोशल मीडिया के दौर में जहां हर मुद्दे पर बढ़-चढ़कर लोग राय दे रहे हैं और एक ऐसे दौर में जब छद्म राष्ट्रवाद से जुड़ी फिल्मों का इंडस्ट्री में बोलबाला है, जहां फिल्म के थोड़े से भी विवादित पॉलिटिकल या पीरियड ड्रामा टोन होने के चलते इन फिल्मों और नाटकों के बैन करने की मांग तेज होने लगती है. नेटफ्लिक्स और एमेजॉन प्राइम जैसे प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट को सेंसर करने की मांग लगातार उठती रही है. हाल ही में एमेजॉन प्राइम पर एक अमेरिकन शो के एक एपिसोड को भी हटा लिया गया था क्योंकि इस एपिसोड में मौजूदा सरकार से जुड़ी कई कड़वी बातों का जिक्र किया गया. ऐसे दौर में टीपू सुल्तान जैसी विवादित हस्ती पर फिल्म या सीरियल बनाना किसी भी फिल्मकार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है.