November 24, 2024

अचानक टेलीकॉम कंपनियों ने क्यों बढ़ा दिया टैरिफ, क्या है मजबूरी

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नई दिल्ली 

वोडाफोन आइडिया और एयरटेल ने 1 दिसंबर से अपना टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है. हाल ही में रिलायंस जियो ने इंटरकनेक्ट यूजर चार्ज (IUC) का हवाला देते हुए नॉन जियो कॉलिंग के लिए पैसे लेने शुरू किए हैं. एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) जैसी समस्याओं की वजह से सभी टेलीकॉम कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है.

वोडाफोन आइडिया को तो भारतीय कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घाटा हुआ है. इसलिए फिलहाल कंपनियां टैरिफ बढ़ाकर अपनी आय कुछ हद तक बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं. हालांकि, जियो का टैरिफ अब भी बाकी कंपनियों के मुकाबले काफी कम है, ऐसे में दूसरी टेलीकॉम कंपनियां दोधारी तलवार पर चल रही हैं.

इसकी वजह यह है कि टैरिफ बढ़ाने से उनके और ग्राहक टूट कर जियो की ओर जा सकते हैं. जियो के आने के बाद वैसे ही एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की हालत काफी खराब है, क्योंकि बड़ी संख्या में इनके ग्राहक जियो की ओर जा चुके हैं.

बर्बादी की कगार पर टेलीकॉम कंपनियां

असल में सरकार द्वारा वसूले जाने वाले एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की वजह से भारत की कई टेलीकॉम कंपनियां बर्बादी की कगार पर पहुंच गई हैं.
टेलीकॉम कंपनी Vodafone Idea को दूसरी तिमाही में अब तक का सबसे बड़ा 50,921 करोड़ का घाटा हुआ है. यह भारतीय कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घाटा है. एयरटेल को भी जुलाई-सितंबर, 2019 तिमाही में 23,045 करोड़ रुपये का बड़ा घाटा हुआ है.

सरकार की तरफ से AGR यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू वसूला जाता है और इस वजह से भी इन कंपनियों पर बोझ काफी बढ़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2019 को दिए अपने फैसले में टेलीकॉम डिपार्टमेंट को टेलीकॉम कंपनियों से करीब 94000 करोड़ रुपये बतौर AGR वसूलने की इजाजत दे दी है. हालांकि इसमें ब्याज और जुर्माना ऐड कर दें तो ये 1.3 लाख करोड़ रुपये होता है.

Vodafone Idea ने अपने बयान में कहा कि टेलीकॉम सेक्टर की मुश्किल की वजह से टैरिफ में बढ़ोतरी मजबूरी हो गई है. कंपनी ने कहा है कि टेलीकॉम सेक्टर में परेशानी है उससे सभी स्टेकहोल्डर्स सहमत हैं.

क्या होता है AGR

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है.

 दूरसंचार विभाग कहता है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल हो. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने भी 24 अक्टूबर, 2019 के अपने आदेश में दूरसंचार विभाग के रुख को सही ठहराया.

एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया पर सबसे ज्यादा बोझ

एयरटेल को इसके तहत 43,000 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया को 40,000 करोड़ रुपये देने होंगे. इसके लिए अंतिम तिथि 24 जनवरी है. देश में जियो की चुनौती और अन्य कई वजहों से पहले से ही कई टेलीकॉम कंपनियों की हालत खराब थी, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय उनके लिए बड़ा झटका साबित हुआ है. खासकर टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड और एयरटेल को एजीआर की वजह से बड़ा घाटा हुआ है.

क्यों हो रहा घाटा

घाटे की बड़ी वजह यह है कि कंपनियों को एजीआर के लिए प्रॉविजनिंग करनी पड़ रही है यानी एक तय राशि अलग रखनी पड़ रही है. वोडाफोन के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) निक रीड का कहना है कि भारत में कारोबार लंबे समय से बेहद चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सरकार से राहत नहीं मिली तो वोडाफोन भारत से अपना कारोबार समेट सकती है.

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