उन्नाव बवाल : ढाई साल से यूपीसीडा को काम करने नहीं दे रहे किसान
उन्नाव
ढाई साल से ट्रांस गंगासिटी के मुआवजे की मांग को लेकर किसान धरना -प्रदर्शन कर रहे हैं। ट्रांसगंगा सिटी में कोई भी विकास करने की कोशिश प्रशासन और यूपीसीडा की ओर की जाती थी तो किसान उसे नाकाम कर देते थे। किसानों का आरोप है कि उनको न तो उचित मुआवजा दिया गया और न ही पुनर्वास की व्यवस्था की गई। दो किसान नेताओं के नेतृत्व में तमाम किसान अक्सर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे।
किसान सर्किल रेट से चार गुना मुआवजे के लिए अड़े थे। ऐलान किया था कि इतना मुआवजा मिलने के बाद ही वह धरना-प्रदर्शन बंद करेंगे। डीएम देवेंद्र पांडेय ने बताया कि 2002 में यूपीएसआईडीसी ने कन्हापुर, मन भावना और शंकरपुर के लगभग ढाई हजार किसानों की भूमि अधिग्रहित की थी। किसानों को शासन की ओर से वर्ष 2012-13 में 5.51 लाख रुपए का प्रतिकर और 7 लाख मुआवजा मिलाकर 12.51 लाख रुपए प्रति बीघा के हिसाब से मुआवजा दिया गया। जिस समय मुआवजा दिया गया उस समय का सर्किल रेट और नियम वह शर्तों का पालन प्रशासन की ओर से किया गया। तमाम किसान इससे संतुष्ट भी हो गए लेकिन कुछ किसान नेताओं ने नए सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा लेने के लिए धरना शुरू कर दिया। डीएम के अनुसार किसानों को एक बार नहीं दो बार मुआवजा दिया गया।
उधर, किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के तहत मुआवजा तुरंत मिलना चाहिए था जो उन्हें काफी देर से दिया गया। आरोप है कि सर्किल रेट का पालन नहीं किया गया। नए नियम के तहत सर्किल रेट के हिसाब से अधिग्रहण की गई भूमि का चार गुना रुपए देना चाहिए। इन्हीं मांगों को लेकर किसान ढाई साल से ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी के साइड ऑफिस पर किसान धरने पर बैठे हैं और यूपीसीडा को कोई भी विकास कार्य नहीं करने दे रहे हैं। शनिवार सुबह यूपीसीडा और प्रशासन की टीम कब्जा लेने पहुंची तो किसान भड़क गए और बवाल हो गया।