राष्ट्रपति शासन के बाद भी तेज रहीं सरकार गठन की कोशिशें, सस्पेंस बरकरार
नई दिल्ली
महाराष्ट्र में सरकार गठन पर फंसा पेंच जब नहीं सुलझा तो आखिरकार राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया. महाराष्ट्र में अगले 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है. लेकिन इस बीच शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने हार नहीं मानी है. मंगलवार को कांग्रेस नेताओं का एक दल एनसीपी प्रमुख शरद पवार से सरकार गठन को लेकर बातचीत करने पहुंचा था. एक दौर की चर्चा के बाद एनसीपी और कांग्रेस ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना रुख स्पष्ट किया और कहा कि पहले हम आपस में बात करेंगे उसके बाद ही शिवसेना से बात होगी.
संजय निरुपम के ट्वीट से गर्माया माहौल
मंगलवार का दिन महाराष्ट्र में बहुत ही गहमागहमी भरा रहा. एनसीपी पर बहुमत बटोरने की जद्दोजहद साफ नजर आ रही थी. इसी बीच कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने एक ट्वीट कर माहौल और गर्म कर दिया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, 'कांग्रेस के पास सरकार बनाने के लिए कोई नैतिक अधिकार नहीं है, ये बीजेपी और शिवसेना का फेलियर है कि उन्होंने राज्य को राष्ट्रपति शासन के कगार पर खड़ा कर दिया है'.
शरद पवार ने की संजय राउत से मुलाकात
वहीं दूसरी ओर राउत महाराष्ट्र में इस सियासी खींचतान के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार संजय राउत से मिलने अस्पताल पहुंचे. गौरतलब है कि सोमवार दोपहर संजय राउत की तबीयत बिगड़ गई थी जिसके बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था. शरद पवार के अलावा बीजेपी नेता आशीष शेलार ने भी राउत से अस्पताल में मुलाकात की और उनका हाल जाना.
अजित पवार ने जताई मजबूरी
मंगलवार दोपहर एनसीपी नेता अजित पवार ने सरकार गठन पर बात करते हुए कहा कि एनसीपी को राज्यपाल ने सरकार बनाने का ऑफर दिया है. एनसीपी के पास रात 8.30 बजे तक सरकार बनाने का दावा पेश करने का वक्त है. उन्होंने आगे कहा कि रात 8.30 बजे तक विधायकों के समर्थन के बारे में बताना मुश्किल है, क्योंकि कांग्रेस नेता दिल्ली में हैं और कांग्रेस विधायक जयपुर और दिल्ली में हैं.
सोनिया ने बैठक के बाद एक दल मुंबई भेजने का निर्णय लिया
सोमवार को कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को फिर से सोनिया गांधी के आवास पर मीटिंग बुलाई गई. कांग्रेस की बैठक में सोनिया गांधी ने तीन नेताओं को मुंबई जाने का निर्देश दिया है. पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि सोनिया गांधी ने आज सुबह शरद पवार से बात की है और मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल और मुझे मुंबई जाने के निर्देश दिए हैं. वेणुगोपाल ने बताया कि हम तीनों नेता मुंबई जाकर शरद पवार से मिलेंगे.
जेडीयू ने उठाए सवाल
शिवसेना के एनडीए से अलग होने पर बीजेपी के दूसरे घटक दल जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने भी सवाल उठाए. इसके साथ ही केसी त्यागी ने एक समन्वय समिति बनाए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि अटल-आडवाणी के कार्यकाल की एनडीए की तर्ज पर मोदी और शाह भी कमेटी बनाएं. त्यागी ने शिवसेना और बीजेपी के रिश्ते टूटने पर कहा कि इतने पुराने रिश्ते टूटते हैं तो विश्वास भी टूटते हैं और पीड़ा भी होती है.
शिवसेना ने ली कपिल सिब्बल की सलाह
महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने देश के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से फोन पर बात की. दरअसल, शिवसेना 3 दिन का समय मांग रही है. अगर ऐसा नहीं होता है तो शिवसेना कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है. इसी बारे में उद्धव ठाकरे ने सिब्बल से बात कर उनकी सलाह ली.
मोदी कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला
महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में दोपहर करीब 2.00 बजे कैबिनेट बैठक बुलाई. इस बैठक में महाराष्ट्र के राजनैतिक हालात को देखते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया गया और कैबिनेट की अनुशंसा राष्ट्रपति के पास भेज दी गई.
शिवसेना पहुंची सुप्रीम कोर्ट
इसी बीच शिवसेना भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना ने अपनी याचिका में मांग की है कि राज्यपाल के उस आदेश को रद्द किया जाए जिसमें उन्होंने शिवसेना को समर्थन पत्र जमा करने के लिए तीन दिनों का समय देने से इनकार किया था. शिवसेना की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और देवदत्त कामत सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेंगे.
कांग्रेस नेताओं ने किया मोदी सरकार और राज्यपाल पर हमला
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की कैबिनेट की सिफारिश के बीच कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने केंद्र सरकार की आलोचना की है. संजय निरुपम ने ट्वीट कर कहा है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला बहुत पहले हो चुका था. लेकिन माननीय राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट भेजने से पहले आज रात 8.30 बजे तक इंतजार करना चाहिए था. इसके साथ ही कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर राज्यपाल ने संवैधानिक प्रक्रिया का मजाक उड़ाया है. सुरजेवाला ने कहा कि राज्यपाल को सबसे पहले चुनाव के पहले बने गठबंधन बीजेपी-शिवसेना को सरकार बनाने का मौका देना चाहिए था. दूसरे नंबर पर राज्यपाल को कांग्रेस और एनसीपी को सरकार बुनाने के लिए बुलाना चाहिए था.