November 24, 2024

इतिहास रचने वाले दीपक के फौजी पिता ने दी उन्हें ट्रेनिंग, ताज महल के पीछे मैदान में मिली सीख

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नई दिल्ली
दीपक चाहर के पिता लोकेन्द्र सिंह को वर्षों से इस दिन का इंतजार था कि जब उनके बेटे का जादुई प्रदर्शन देश को जीत दिलाए। उनका कहना है कि ऐसे प्रदर्शन के लिए दीपक ने कड़ी मेहनत की है। लाखों गेंदें नैट प्रैक्टिस के दौरान फेंकी है तब ऐसा प्रदर्शन हुआ है। लोकेन्द्र खुद क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन उनके पिता ने उन्हें अनुमति नहीं दी लेकिन जब उन्होंने 12 साल की उम्र में दीपक का हुनर देखा तो उन्हें अपना ख्वाब पूरा करने की इजाजत दे दी जो दरअसल कभी उनका ख्वाब था, देश के लिए क्रिकेट खेलना।

लोकेन्द्र कहते हैं कि मेरे पास कोचिंग की डिग्री नहीं थी लेकिन मैंने दीपक को सिखाने के लिए बाद में खुद ट्रेनिंग ली। भारत के इस युवा तेज गेंदबाज के विकसित होने की शुरुआत आगरा में ऐतिहासिक ताज महल के पीछे बने मैदान के टर्फ से हुई है। भारतीय वायुसेना से रिटायर लोकेन्द्र सिंह ने कहा कि अब लगता है कि जो सपना हम दोनों ने इकट्ठा देखा था वो धीरे-धीरे हकीकत में बदल रहा है।

दीपक 18 साल की उम्र में सबसे पहले चर्चा में आए जब राजस्थान के लिए रणजी मैच पदार्पण में हैदराबाद के खिलाफ दस रन देकर आठ विकेट लिए। हैदराबाद की टीम 21 रन पर आउट हो गई थी। उनका यह प्रदर्शन यू ट्यूब पर घरेलू क्रिकेट के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले वीडियो में शामिल है। हैदराबाद के इब्राहिम खलील को फेंकी गई उनकी इनस्विंगर को काफी प्रशंसा भी मिली है। राजस्थान टीम की रणजी ट्रॉफी जीत में उन्होंने 40 से ज्यादा विकेट लिए थे। हालांकि चोट के चलते अगले कुछ वर्ष वह परेशान रहे।

भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने नैसर्गिक रूप से स्विंग करने वाले इस गेंदबाज के हुनर को पहचाना और कुछ साल पहले आईपीएल में राइजिंग सुपर जाइंटस (पुणे) टीम में जगह दी। पिछले दो सीजन में धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया। उसके बाद राष्ट्रीय टीम का बुलावा आ गया।  2018 सीजन में 10 विकेट लेने वाले चाहर ने इस साल 22 विकेट लिए और वह इंग्लैंड में हुए विश्व कप में स्टैंड बाई भी थे। भारत के पूर्व क्रिकेटर दीप दासगुप्ता का कहना है कि दीपक को यह पता है कि स्विंग कैसे की जाती है। जब 2018 आईपीएल में ब्रावो नहीं थे तो धोनी ने उन्हें पावरप्ले और डेथ ओवरों में अतिरिक्त जिम्मेदारी दी और यह टर्निंग प्वाइंट रहा। उन्होंने सीखा कि गेंदबाजी के प्रतिकूल हालत में वाइड यार्कर और स्लोअर कैसे करनी है। चाहर का परिवार मूलत: आगरा का है लेकिन जब लोकेन्द्र सिंह वायुसेना में थे तब वह राजस्थान के गंगानगर में बस गए थे।

 

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