आखिर क्यों अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से निलंबित हो सकता है भारत, खारिज हुई राष्ट्रीय खेल संहिता
नई दिल्ली
भारतीय ओलंपिक संघ ने राष्ट्रीय खेल संहिता के नए मसौदे को पूरी तरह खारिज करते हुए चेताया कि यदि इसमें बताए गए प्रशासनिक सुधारों को लागू किया गया तो भारत को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का निलंबन झेलना पड़ सकता है। आईओए ने मसौदे पर प्रतिक्रिया के सरकार के फैसले पर भी हैरानी जताई।
खेलमंत्री किरेन रिजिजू ने पदाधिकारियों की उम्र और कार्यकाल पर पाबंदी जैसे विवादित मसलों पर गौर करने के लिए 11 अक्टूबर को समिति के गठन की घोषणा की थी। रिजिजू की घोषणा के बावजूद मंत्रालय के खेल निदेशक ने आईओए को 24 अक्टूबर को पत्र लिखकर राष्ट्रीय खेल संहिता के नये मसौदे पर 10 नवंबर तक प्रतिक्रिया मंगवाई थी।
आईओए महासचिव राजीव मेहता ने बदलावों को खारिज करते हुए जवाब भेजा। मेहता ने जवाब में कहा, ‘आईओए और सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से खेल संहिता के नए मसौदे को खारिज कर दिया क्योंकि यह आईओए और उसके सदस्यों की स्वायत्ता में दखल देता है।
खेल संहिता पर खेल मंत्रालय से बात की गई थी और इसे आईओए नियमों में 2014 में लागू किया गया, जिससे आईओए को 2012 में फिर मान्यता मिली।’ उन्होंने कहा, ‘आईओए की स्वायत्ता में और दखल होने पर आईओसी और ओसीए इसे संजीदगी से लेंगे और एक बार फिर आईओए की सदस्यता निलंबित की जा सकती है। हमें उम्मीद है कि खेल मंत्रालय टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारतीय दल को आईओसी के झंडे तले नहीं बल्कि तिरंगे तले भेजना चाहता है।’
आईओसी ने दिसंबर 2012 में सरकारी दखल का हवाला देकर आईओए को निलंबित कर दिया था । बाद में स्वायत्ता का आश्वासन मिलने पर उसकी मान्यता बहाल की गई ।