पहली बार हुआ ऐसा! बहुमत होने के बावजूद किसी गठबंधन ने नहीं बनाई सरकार
नई दिल्ली
महाराष्ट्र में सियासत का पावर प्ले जारी है. शिवसेना जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के ख्वाब संजोय बैठी है. वहीं बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. 24 अक्टूबर को जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए तो सबको लगा कि बीजेपी और शिवसेना आसानी से सरकार बना लेंगे.
288 सीटों पर चुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं. महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 146 है. ऐसे में अगर बीजेपी और शिवसेना की सीटों को मिला दिया जाए तो आंकड़ा 161 बैठता है. ऐसे में शायद ही किसी ने सोचा होगा कि बीजेपी और शिवसेना के रास्ते जुदा हो जाएंगे. दोनों पार्टियों ने 2014 में अलग-अलग चुनाव लड़ा था. लेकिन तब भी किसी को बहुमत नहीं मिला था.
इसके बाद शिवसेना एनडीए में शामिल हुई और महाराष्ट्र में सरकार बनाई. इस बार दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा. लेकिन फायदे की जगह दोनों की सीटें घट गईं. बावजूद इसके शिवसेना-बीजेपी के पास इतनी सीटें थीं कि वे आसानी से सरकार बना लें.
भारतीय राजनीति में संभवत: यह पहली बार हुआ, जब सरकार बनाने लायक आंकड़ा होने के बावजूद महागठबंधन ने सरकार नहीं बनाई. शिवसेना जहां 50-50 फॉर्म्युले के रुख पर कायम है. वहीं बीजेपी मुख्यमंत्री पद पर कोई समझौता नहीं करना चाहती. शिवसेना का कहना है कि मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल के लिए बांटना चाहिए. लेकिन बीजेपी ने कहा कि ऐसी किसी स्थिति पर समझौता नहीं हुआ. इसके बाद 30 साल पुरानी दोस्ती में दरार पड़ गई और शिवसेना के तेवर तल्ख होते गए. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के बाहर दूसरी पार्टियों के साथ सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दीं.
फिलहाल आलम ये है कि नतीजे आने के 18 दिन बाद भी अब तक महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली पड़ी है. सोमवार को भी पूरे दिन राज्य की सिसायत में बैठकों और बातचीतों का दौर चला. कभी सोनिया ने पवार से बात की तो कभी उद्धव ने. दिन ढलते-ढलते शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से मिले और सरकार बनाने की इच्छा जताई. लेकिन उन्हें कांग्रेस की ओर से झटका लगा. दिन में खबर थी कि कांग्रेस शिवसेना को बाहर से समर्थन देने को तैयार है.
मगर बाद में कांग्रेस ने कहा कि फिलहाल शिवसेना को कोई समर्थन पत्र नहीं दिया गया है. अब दोबारा कांग्रेस एनसीपी से बातचीत करेगी. इसके बाद गवर्नर ने एनसीपी को भी सरकार बनाने का न्योता दिया और रात को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को फोन किया और कहा कि वे शिवसेना संग सरकार बनाने को तैयार हैं. लेकिन इसके लिए कांग्रेस का साथ भी जरूरी है. अब देखना यह है कि कितनी जल्दी इस गठबंधन को अमलीजामा पहनाया जाता है.