प्रक्रिया में किए गए संशोधन पर मुख्यमंत्री ने कराया अवगत
रायपुर
मुख्यमंत्री ने इस बार नगरीय निकायों के चुनावों की प्रक्रिया में किए गए संशोधन के संबंध में बताया कि महापौर या अध्यक्ष के दोनों पद प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की तरह एक्जीक्यूटिव पद हैं। यदि पार्षदों का समर्थन नहीं मिलता तो नगर का विकास ठप्प पड़ जाता है। पार्षद जब अपना मुखिया चुनेंगे तो नगरीय विकास का काम निर्बाध रुप से पूरा होगा। जब 21 साल में कोई पार्षद बन सकता है तो मेयर क्यों नहीं बन सकता। हमें युवाओं को सम्मान देना, युवाओं को जिम्मेदारी देना, युवाओं पर भरोसा करना सीखना होगा। हमने प्रदेश को कुचक्रों से बाहर निकालने में सफलता पाई है और अब युवा जोश और ऊर्जा से राजनीति को स्वस्थ बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। शहरों का नियोजित विकास, उत्साह से भरपूर और खुशनुमा वातावरण का निर्माण हमारी प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों की वजह से हर क्षेत्र में नये रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। पूरे प्रदेश में नगरीय-निकायों द्वारा निर्मित दुकानों के किराये में कमी की गई है ताकि स्वरोजगारी युवाओं को मदद मिले और वे अन्य लोगों को रोजगार दे सके। हमने जमीन की गाइड लाइन दर में 30 प्रतिशत की कमी की और छोटे भू-खंडों के क्रय-विक्रय से रोक हटाई जिसके कारण लगभग एक लाख सौदे हुये। एक जमीन बिकने पर दसियों लोगों को लाभ मिलता है। मकान बनता हैं तो बढ़ई, लोहार, राजमिस्त्री, इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर, रेजा, कुली से लेकर दुकानदार तक सबको रोजगार मिलता है। हमने गुमाश्ता लायसेंस के वार्षिक नवीनीकरण में छूट देने जैसे कई कदम उठाए हैं, जिससे कारोबारियों का उत्साह बढ़ा है।
शिक्षाकर्मियों, सहायक शिक्षक (एल.बी.) को नियमित वेतन, तबादले की सुविधा, स्वच्छता दीदियों के मानदेय में वृद्वि जैसे अनेक कदम उठाए गए हैं। पौनी-पसारी छत्तीसगढ़ में एक ऐसी बाजार व्यवस्था है, जिसमें आपसी सद्भाव, सहयोग और समरसता के सामाजिक माहौल में सारी आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं। समन्वय की अर्थव्यवस्था हमारी बसाहटों में खुशहाली का आधार थी। आधुनिक बाजार व्यवस्था में यह परम्परा टूट रही थी। इसलिए हमने नगरीय-निकायों में पौनी-पसारी बाजार व्यवस्था का संरक्षण तथा संवर्धन करने का निर्णय लिया है। मुझे खुशी है कि इस दीवाली में हमारी माटी के दीयों से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि दिल्ली भी रोशन हुई है। हमारे गांवों, बस्तियों में बने पकवानों की खुशबू और मिठास हर घर में पहुंची है। गांव का पैसा गांव में ही, आपस में एक-दूसरे के काम आता है। हमारा प्रयास है कि हर हाथ को उसकी क्षमता के अनुसार रोजगार मिले, नई उद्योग नीति में इसके लिए समुचित प्रावधान किये गए हैं।