अयोध्या फैसले पर बोले सलीम खान- हमें मस्जिद की जरूरत नहीं, 5 एकड़ में स्कूल बनवा दें
मुंबई
सालों से चल रहे अयोध्या मामले पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया. शनिवार को कोर्ट ने अयोध्या मामले पर विवादित जमीन रामलला को सौंपने का फैसला सुनाया, जबकि मस्जिद के निर्माण के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया. इस फैसले का स्वागत पूरे देश में किया गया. मशहूर स्क्रिप्ट राइटर और प्रोड्यूसर सलीम खान ने भी इस पर अपना रिएक्शन दिया है.
सलीम खान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, 'अब अयोध्या विवाद के खत्म होने पर मुसलमानों को मोहब्बत और माफी इन दो सद्गुणों का पालन कर आगे बढ़ना चाहिए. मोहब्बत जाहिर करिए और माफ करिए. इस तरह के मामलों को रिवाइंड या रिकैप ना करें…बस यहां से आगे बढ़ें'
IANS को दिए इंटरव्यू में सलीम ने कहा, ' अयोध्या मामले पर फैसला आने के बाद जिस तरह लोगों ने शांति और सामंजस्य बिठाया है, वह काबिले-तारीफ है. इस बात को स्वीकार करें कि एक बहुत पुराने विवाद का सुलह कर लिया गया है. मैं तहे दिल से इस फैसले का स्वागत करता हूं.'
'मुसलमानों को इस मामले पर चर्चा नहीं करना चाहिए. बल्कि उन्हें अपनी बुनियादी समस्याओं और उनके हल पर चर्चा करनी चाहिए. यह मैं इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि हमें स्कूलों की और अस्पतालों की जरूरत है. मेरी सलाह यही होगी कि अयोध्या में जो 5 एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए दी गई है, उस पर हम कॉलेज बना सकते हैं. हमें मस्जिद की जरूरत नहीं. नमाज तो हम कहीं भी पढ़ लेंगे, ट्रेन में, प्लेन में, जमीन पर, कहीं भी पढ़ लेंगे. लेकिन हमें बेहतर स्कूलों की जरूरत है. तालीम अच्छी मिलेगी 22 करोड़ मुसलमानों को, तो इस देश की बहुत सी कमियां खत्म हो जाएंगी.'
मोदी की तारीफ में बोले सलीम-
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में भी अपने विचार साझा किए. सलीम ने कहा, 'मैं पीएम मोदी से सहमत हूं, हमें शांति की जरूरत है. हमें अपने लक्ष्य पर फोकस करने के लिए शांति की जरूरत है. हमें अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा. हमें इस बात का एहसास होना चाहिए कि अगर हमारी शिक्षा अच्छे तरीके से होगी तो हमारा भविष्य भी बेहतर होगा. असल परेशानी यही है कि तालीम (शिक्षा) के मामले में मुसलमान बहुत अच्छे नहीं हैं. इसलिए मैं कहूंगा कि अयोध्या मामले का द एंड और अब एक नई शुरुआत होगी.'
बता दें सलीम खान, सलमान-सोहेल और अरबाज खान के पिता हैं. उन्होंने 60-70 के दशक में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं. उन्होंने बतौर स्क्रीन राइटर दो भाई, जंजीर, नाम, अंगारे, तूफान, जुर्म, पत्थर के फूल आदि फिल्मों में काम किया है.