November 24, 2024

B’Day Spcl: इस वजह से पिता के अंतिम संस्कार में नहीं जा पाए थे विराट, हर कोई रह गया था हैरान

0

मुंबई
विराट कोहली आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस वक्त उनके जैसा बल्लेबाज शायद ही कोई और हो। रन मशीन के नाम से मशहूर हो चुके विराट का शतक बनाना अब बड़ी खबर नहीं बनता है बल्कि उनका शतक से चूकना चर्चा का विषय बन जाता है।

अपना 31वां जन्मदिन मना रहे विराट बतौर  क्रिकेटर और खिलाड़ी आज युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं, दिग्गज भी उनके खेल के कायल हैं। भारतीय क्रिकेट बिना विराट कोहली के खाली नजर आता है। लेकिन विराट आज जिस मुकाम पर हैं उसके लिए उन्हें काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी और कई कुर्बानियां भी देनी पड़ी।

साल 2006 का वो दिन था जब दिल्ली के फिरोजशाह कोटला क्रिकेट मैदान में खेले जा रहे रणजी ट्रॉफी के मुकाबले ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। ये बात है 18 दिसंबर 2006 की। उस दिन दिल्ली और कर्णाटक के बीच मैच खेला जा रहा था और 18 साल के विराट ने कुछ ऐसा किया जिसने उसकी अपनी ही टीम नहीं बल्कि, विरोधियों को भी चौंका दिया।

कर्नाटक ने पहले खेलते हुए अपनी पहली पारी में 446 रन बनाया था। उस दिन दिल्ली में जबरदस्त सर्दी पड़ रही थी। लक्ष्य का पीछा करते हुए दिल्ली की टीम ने अपने शुरुआती पांच विकेट सौ रन के अंदर ही गंवा दिए थे।

अब मैच में बने रहने और फॉलोऑन से बचने की जिम्मेदारी इसी 18 साल के युवा विराट कोहली पर थी। विराट के साथ टीम के विकेट कीपर पुनीत बिष्ट बैटिंग कर रहे थे। दूसरे दिन का खेल खत्म होने पर विराट ने अपना विकेट बचाए रखा था और वो 40 रन पर नॉटआउट थे। लेकिन दिल्ली को फॉलोऑन बचाने के लिए लंबी दूरी तय करनी थी। दिल्ली टीम का स्कोर 103 रन था जिसमें अकेले विराट का योगदान 40 रन का था। मैच बचाने की जिम्मेदारी तीसरे दिन विराट पर ही थी।

लेकिन उसी रात विराट के 54 वर्षीय पिता प्रेम कोहली का अचानक से दिल का दौरा पड़ने की वजह से देहांत हो गया। ये खबर देखते ही देखते हर तरफ फैल गई और टीम के कोच चेतन चौहान को इसकी सूचना दी गई। कोच ने भी विराट को इस दुखद समाचार से अवगत कराया।

इसके बाद सभी ने विराट को परिवार के पास जाने और मैच छोड़ने के लिए कहा लेकिन विराट ने अपने फैसले से सभी को हैरान कर दिया। विराट अगले दिन पिता के अंतिम संस्कार में जाने की बजाय दिल्ली को हार से बचाने के लिए मैदान में उतर गए।

मैदान में जब विरोधी दल ने विराट को देखा तो उन्हें भी इस दृश्य को देखकर यकीन नहीं हुआ कि वो लड़का जिसके पिता का पिछली रात देहांत हो गया है वो आज मैदान में खेलने के लिए हाजिर है।

फिर भी विराट मैदान में उतरे और इस मैच में 281 मिनट तक बल्लेबाजी की और 238 गेंदों का सामना करते हुए 90 रन बनाए। जब विराट आउट हुए तो उनकी टीम खतरे से बाहर थी। उस वक्त दिल्ली की टीम को फॉलोऑन बचाने के लिए केवल 36 रनों की जरूरत थी।
आउट होने के बाद दोपहर करीब 12 बचे विराट कोहली ड्रेसिंग रूम में पहुंचे और अपने आउट होने का रिप्ले टीवी पर देखा। इसके बाद चुपचाप अपने पैड, ग्लब्स व हेलमेट उतारे और अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए निकल पड़े।

उस दिन की इस एक घटना ने एक रात में ही 18 साल के युवा विराट को एक परिपक्व और गंभीर खिलाड़ी में तब्दील कर दिया। इसके बाद विराट कोहली ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा और हर रोज नई ऊंचाइयों को छूते गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *