जांघ मजबूत करने के लिए उपयोगी हैं ये आसन
अगर हम किसी फुटबॉल खिलाड़ी या किसी भी खिलाड़ी को देखते हैं, तो उसकी हृष्ट-पुष्ट जांघ निश्चित तौर पर उसके शरीर की मजबूती का प्रतीक मानी जाती है। कुछ अरसे पहले जीरो फिगर मॉडल्स ने कुछ नये फंडे दिए, लेकिन यह सच है कि मजबूत जांघ, मजबूत और स्वस्थ शरीर का प्रतीक होती है। हमेशा की तरह यह सुझाव भी है कि कोई भी आसन किसी प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही करें ताकि उसका कोई नुकसान न होकर, फायदा ही फायदा हो। आइए जानते हैं उन पांच योगासनों के बारे में जो हमारी जांघों को मजबूत करते हैं-
आनंद बालासन
एक बहुत आसान पोज, जो आपकी कमर को राहत देकर आपके कूल्हों और पैरों को वर्कआउट के लिए वार्मअप करती है। इसे ऐसे करें-
चटाई पर पीठ के बल लेट जाएं।
प्रत्येक पैर को जांघ के बाहर की ओर से पकड़ें।
पैरों को बीच में पकड़ें, जहां आर्क है, ज्यादातर लोगों के लिए ज्यादा सुविधाजनक होता है।
अपने चेहरे की मांसपेशियों को ढीला छोड़ें और लंबी सांस लेकर इस पोज में एक मिनट तक रहें।
सुप्त बद्ध कोणासन
यह कूल्हों को गतिशील करने के लिए अच्छा पोज है। इस पोज से भी जांघ की अंदरुनी मांसपेशियां मजबूत होती हैं। एक सावधानी बरतें कि लंबी सांस पर ध्यान केंद्रित करें और आप पाएंगे कि आप पैर ज्यादा खोल पाते हैं और ज्यादा देर तक उस पोज में भी रह सकते हैं।
चटाई पर पीठ के बल लेट जाएं। अपनी बांहों को बगल में शरीर से 45 डिग्री के कोण पर रखें।
पैरों को घुटने के पास मोड़ें और पैर के तलुओं को नमस्ते के अंदाज में जोड़ने की कोशिश करें।
अपनी एड़ियों को ग्रोइन के ज्यादा से ज्यादा पास लाने की कोशिश करें, इस दौरान चेहरे या शरीर में तनाव नहीं होना चाहिए।
ध्यान रखें आपका सिर सीधा होना चाहिए। आंखों को बंद रखें यह आपको सुस्ताने में मदद करेगा।
इस पोज में एक मिनट तक रहें और लंबी गहरी सांसें लेना न भूलें।
उपविष्ठ कोणासन
बैठने वाली पोज पैर की कुछ मांसपेशियों के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं। यह खड़े होकर की जाने वाली पोज के लिए भी अच्छी शुरूआत की तरह होती हैं, जिसमें मजबूती, लचीलेपन और संतुलन की दरकार होती है।
चटाई पर बैठकर पैरों को तीन से चार फीट चौड़ाई तक फैला लें।
अब अपने हाथों को चटाई पर रखें। अपने हाथों से जितना हो सके आगे जाएं।
अपने सिर, गर्दन को पीठ की सीध में रखें।
इस पोज में लंबी सांस लें। आराम से धीरे-धीरे हर सांस के साथ जमीन की ओर झुकते रहें।
इस पोज में जितनी देर आराम से रह सके रहें, लेकिन एक मिनट से ज्यादा नहीं।
पोज से बाहर निकलने के लिए हाथों को धीरे-धीरे वापस लाएं।
परिघासन
आपकी कमर को बेहतरीन खिंचाव देने के अलावा यह पोज जांघों और ग्रोइन की मांसपेशियों को खोलकर उनका लचीलापन बढ़ाती है।
चटाई पर घुटनों के बल बैठिए। अपनी एड़ियों को साथ रखें। पैरों की अंगुलियां जमीन पर और पीठ सीधी।
दाएं पैर को अपनी दाईं ओर जितना हो सके स्ट्रेच करें। घुटना छत की ओर होना चाहिए।
दाएं पैर के तलुए को जमीन पर रखें।
अब अपनी दोनों बांहों को सिर के ऊपर ऊठाएं और सीधा रखें।
धड़ और दाईं बांह को लंबे किए हुए दाएं पैर की तरह झुकाएं।
दाएं हाथ को दाएं पैर पर रखें। (संभव हो तो दाईं कलाई को दाईं एड़ी पर रखें)
अपनी हथेली का मुंह छत की तरफ करें।
अब अपनी बाईं बांह को सिर के ऊपर से दाईं ओर लाएं। जो लोग लंबी अवधि से योगा करते आ रहे हों, वह अपनी बांई हथेली को दाईं हथेली पर रखने की कोशिश कर सकते हैं। इस पोज में आपका बायां कान आपकी बाईं बांह के ऊपरी हिस्से को छूना चाहिए और दायां कान दाईं बांह के ऊपरी हिस्से को।
इस पोज में कुछ सांसों तक बने रहिए। (तकरीबन 45 सैकंड तक) उसके बाद शुरुआती पोज में आ जाइए।
आराम कीजिए और समूची प्रक्रिया को बाईं ओर से दोहराइए।
उत्थित त्रिकोणासन
अंत में एक खड़े होकर किया जाने वाला आसन जो पैर की छोटी मांसपेशियों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। यह शरीर के संतुलन को भी सुधारता है।
चटाई पर पैर चौड़े करके खड़े हो जाएं।
दाएं पैर को दाई तरफ की दीवार की तरफ मोड़ें।
संतुलन के लिए बाएं पैर को थोड़ा सा दाईं तरफ मोड़ें।
बांहों को उठाएं। कंधे की ऊंचाई पर लाएं जब तक कि वह जमीन के समानांतर न हो जाएं।
कमर से दाईं ओर झुकें और दाईं हथेली को पैर पर या जमीन पर (जो भी सुविधाजनक हो) रख दें।
बाईं बांह को सिर के ऊपर उठाकर सिर को धीरे से बाएं हाथ की ओर मोड़ें।
इस पोज में 30 से 45 सैकंड रहें।
पैरों को वापस लाते हुए शुरुआती स्थिति में आ जाएं।
अब इसे दूसरी ओर दोहराएं।
हर बार सारे आसनों की समाप्ति के बाद पांच मिनट के लिए शवासन करना चाहिए। पीठ के बल लेट जाइए, आंखें बंद कीजिए, शरीर को ढीला छोड़ दें। सिर सीधा रखें। हर मांसपेशी से तनाव को मुक्त कर दें। पैर से लेकर बांह, कंधे, गर्दन और सिर तक। आंखों को बंद रखें। अब करवट लेकर उठकर बैठ जाएं। हथेलियों को रगड़कर गर्म करें। फिर उन्हें आंखों पर रख दें। हथेलियों को हटाए बगैर आंखों को धीरे-धीरे खोलें। हाथ नीचे करें और दिन की शुरूआत सकारात्मक ऊर्जा के साथ करें।