छत्तीसगढ़ी लोककला के विविध रंग ने राज्योत्सव में बिखेरी छटा
रायपुर
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के उपलक्ष्य में राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज के मैदान में आयोजित राज्योत्सव में पूरे राज्य भर से आए लोक कला दलों द्वारा आकर्षक और रंगारंग प्रस्तुति दी गई। लोक कला द्वारा छत्तीसगढ की संस्कृति और परंपराओं पर आधारित गीत और नृत्यों की प्रस्तुति देकर लोगों का मनमोह लिया। मंच पर दंतेवाडा जिले के गौर नृत्य के दौरान प्रदेश के आबकारी एवं उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने भी मांदर बजाकर लोक कला दलों के साथ नृत्य किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ छत्तीसगढ महतारी के वंदना गीत अरपा पैरी की धार महानदी हे अपार से शुरू हुआ। डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा द्वारा रचित इस गीत को सुश्री गरिमा दिवाकर और स्वर्णा दिवाकर ने साथियों के साथ नृत्य सहित आकर्षक प्रस्तुति दी। बालोद के श्री राधे गन्धर्व ने साथियों सहित सुरीली मोहरी वादन किया। मोहरी वादन छत्तीसगढ में विशेष तीज त्योहारों और मंगल कार्यो के समय वाद्ययंत्रों के साथ बजने वाला पारम्परिक वाद्य है। दुर्ग के श्री गजाधर बंजारे ने साथियों के साथ मनमोहक पंथी नृत्य प्रस्तुत किया। कोण्डागांव श्री पनकू राम ने गेडी नृत्य, बेमेतरा के श्री भागवत यादव और साथी ने राउत नाचा, रायगढ के श्री राम जी और साथी ने करमा नृत्य, सरगुजा के श्री बालम साय और सााथियों ने सैला नृत्य, पलारी के श्री अर्जुन सेन ने पंडवानी गायन , दंतेवाडा के श्री विनोद सोढ़ी और साथियों ने गौर नृत्य प्रस्तृत किया।
गौर नृत्य में प्रदेश के उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने मांदर बजाकर नृत्य किया। जो अतिथियों और दर्शकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा। नारायणपुर के जैनू सलाम ने साथियों के साथ ककसाड नृत्य और सुकमा के श्री राजेश नाग एवं साथी ने धुरवा नृत्य और दुर्ग की श्रीमती खिलेश्वरी साहू ने सहेलियों के साथ सुआ नृत्य प्रस्तुत किया। कमलादेवी संगीत महाविद्यालय रायपुर के विद्याथियों ने दक्ष यज्ञ प्रसंग पर बहुत ही कलात्मक रूप से कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान गंडई के डॉ. पीसी लाल यादव ने अपने 30 साथियों के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों सहित दूध मोंगरा नृत्य की प्रस्तुति दी। सांस्कृतिक मंच में प्रदेश के विभिन्न लोक कला दलों द्वारा एक साथ प्रस्तुति दी।