छठ मइया से बेटी और जल बचाने की श्रद्धालु लगाते हैं गुहार
भागलपुर
पारंपरिक गीत अब सिर्फ छठ पर्व में ही सुनायी देता है। गांव से शहर व घर से लेकर गंगा घाटों तक गीत बजते हैं। देश-विदेश में भी छठ पूजा की धूम है। छठ गीत में न सिर्फ पूजा की बात होती है, बल्कि इसमें परंपरा, सामाजिकता के साथ श्रद्धालुओं की प्रकृति व भगवान के साथ संवाद भी दिखता है।
छठ गीतों को सुनने पर पता चलता है कि हमारी परंपरा में बेटी और जल दोनों का काफी महत्व है। श्रद्धालु छठ मइया से बेटी मांगते हैं। साथ ही अच्छा व पढ़ा-लिखा दामाद, ताकि बुढ़ापे में बेटी-दामाद उन्हें तीर्थ करा सकें। बेटा यश और वंश वृद्धि के लिए मांगा जाता है, वहीं बहू सेवा करने के लिए। गीतों में ससुराल में हो रही परेशानी से भी छठी मइया को अवगत कराया जाता है।
गंगा सहित कई नदियों का वर्णन-
संगीत विभाग की प्रोफेसर निशा झा ने बताया कि छठ गीतों में आध्यात्मिकता और सामाजिकता, दोनों भरा हुआ है। गीतों में गंगा, कोसी, नदी व पोखर का भी जिक्र आता है। यानी कि पानी के संरक्षण की बात कही गयी है। नदी और तालाब के बिना यह पर्व अधूरा माना जाता है। हर भाषा में छठ के गीत गाए जाते हैं। इसमें जगह, नदी और तालाब का नाम बदलता है। मांग और आशीष एक ही रहता है।
छठव्रति और भगवान में होता है संवाद-
छठव्रती शोभा मिश्रा ने बताया कि गीतों में छठ मइया से निरोग रहने और वंश में वृद्धि की मांग की जाती है। व्रती और छठ मइया के बीच संवाद पर आधारित गाना भी काफी प्रचलित है। जब श्रद्धालु देरी से आने का कारण भी पूछते हैं तो छठ मइया बताती हैं कि वह अंधे को आंख, कोढ़ी को काया, बांझ की गोद भरते हुए आ रही थीं। इसलिए आने में देर हुई।
खेसारी लाल से लेकर रानू मंडल ने गाए गीत-
छठ गीतों में शारदा सिन्हा व अनुराधा पौडवाल के गीतों के कैसेट्स के बीच इस बार खेसारीलाल यादव ने छठ गीत पर पटना के घाट निकलागेला, छठ गीत गाबे गांव शहरिया को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा रानू मंडल ऊगी आदित देव कोलकाता के घाट, पवन सिंह का गीत छठ मइया हो हीय सहाय, मनोज तिवारी सहित कल्पना के गीतों को खूब सुना जा रहा है।